ऊपर वाला देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है...
>> Tuesday, August 3, 2010
कहावत है, कि ऊपर वाला देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है. मेरे साथ यही हुआ. पहले ''ईटिप्स'' ब्लॉग के मित्रों ने मुझे सम्मानित किया और कल ''परिकल्पना'' के रविन्द्र प्रभात भाई और उनकी टीम ने मुझे सम्मानित कर दिया. जब कभी मै ऐसे किसी सम्मान से नवाज़ा जाता हूँ, जिसके बारे में मुझे अचानक ही कोई सूचना मिलती है, तो समाज में बची-खुची नैतिकता पर मुझे गर्व होता है. आज का दौर माफियाओं का है. पुरस्कार-सम्मान चेहरे देख कर दिए जाते है. किसी को अपना स्वार्थ सिद्ध करना होता है, तो सम्बंधित व्यक्ति को सम्मानित कर दिया जाता है, लेकिन यहाँ तो न ईटिप्स वाले को हम से कोई सम्मानवाला कोई लाभ होना है, न 'परिकल्पना'वाले रविद्रजी को ही कोई अपेक्षा है. ऐसे लोग मेरे लिये प्रणम्य है, जो किसी प्रत्याशा में किसी को सम्मानित नहीं करते. वरन एक ईमानदार पर्यवेक्षक की तरह लोगों को देखते है, और उनके कार्यों की सराहना करते हैं. दरअसल ऐसे ही सद्भावीजनों के कारण समाज में मूल्य ज़िंदा है. जो लोग अच्छा काम कर रहे हैं उनका हौसला भी बढ़ता है. यह विश्वास भी पुख्ता होता है, कि अभी भी यह दुनिया अच्छे लोगों से भरी हुई है. अपने प्रति लोगो का स्नेह देखता हूँ तो ख़ुशी होती है. लोगों की पैनी नज़र है मेरे काम पर. भारत हो या दूसरे देशों में रहने वाले मेरे मित्र हों, जब वे शुभकामनाएँ देते है, तो मुझे लगता है, और ज़िम्मेदार हो कर लेखन करना है. एक बार फिर मैं अपने शुभचिंतकों का धन्यवाद करना चाहता हूँ, जो मेरे लेखन पर अपना स्नेह लुटा रहे हैं. यह कृपा बनी रहे, बस इसी आशा के साथ आज बस इतना ही. अपने दो शेरों के साथ, कि
आपका अहसान हो जाये
ज़िंदगी आसान हो जाये
आपकी मानिंद ही बस
हर कोई इनसान हो जाये.
12 टिप्पणियाँ:
बधाई आपको ,
बहुत सुन्दर बात लिखी है ..
परिकल्पना का सम्मान है यह !!
आप सम्मान के मोहताज नहीं .आप जैसे अमर रचनाकारों का जब कहीं सम्मान होता है तो दर असल वह संस्था खुद सम्मानित हो रही होती है.
आपके लेख की दूसरी क़िस्त दे पाने में विलम्ब हुआ.क्षमा करेंगे.
बाज़ार में हिंदी पत्रकारिता http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post.html
shahroz
भईया प्रणाम और बधाई. आपका सानिध्य पाना (चाहे वह किसी रूप में हो) अपने आप में एक सम्मान है. आपकी रचनाएं या टिप्पणियां अनायास ही बहुत कुछ सीखा जाती हैं. आपको पढ़कर गौरव का अहसास होता है. आपको प्रणाम.
बधाईयां ,इमेल का जवाब आप नही दे रहे हैँ दुख हुआ ,
धन्यवाद
बहुत बहुत बधाई जी, वेसे सच ही कहा है shahroz जी ने उन की बात से सहमत हुं
वाह!गिरीश भैया,
फ़ोटो बदल गयी है,हा हा हा
सारे सम्मान आपके लेखन के सामने बौने हैं,
आपने इतनी लम्बी लकीर खींच दी है।
इसे भी पढिए फ़ूंकनी चिमटा बिना यार-मुहब्बत है बेकार
फ़ोटो के विषय में कुछ भी टिप्पणी नहीं करुंगा।
:):):)
पुरस्कार तो रास्ते में मिलने वाले वे सहयात्री हैं जो कुछ देर बात करते हैं फिर आप आगे बढ़ जाते हैं. अलबत्ता कई सहयात्री ऐसे भी होते हैं जिनसे आप बात नहीं करते या वे आपसे बात नहीं करते...
badhai ho. in sammamon se vastutah sammano kaa hi maan badhaa hai.....
आपको शुभकामनाएँ और बधाई !!
आपको शुभकामनाएँ और बधाई !!
चाचा जी...बहुत बहुत बधाई..वैसे सच कहूँ तो आप सम्मान के हक़दार है..आपकी लेखनी समाज और देश के हित में हैं..भगवान निरंतर आपको निरंतर ऐसे ही सफलता प्रदान करते रहें...पर उससे भी बढ़कर एक सम्मान यह है कि आपकी लेखनी और आपके विचार हमेशा सभी के दिल में रहते है...प्रणाम चाचा जी..
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