Sunday, November 6, 2011

नई ग़ज़ल / मुझसे नाराज़ जब वो हुई गीत मेरे ही गाने लगी

वो अगर मुस्कराने लगी
चांदनी भी लजाने लगी

प्यार मन में उमड़ने लगा
रौशनी झिलमिलाने लगी

फूल खिलने लगे जिस घड़ी
वो हमें याद आने लगी

मुझसे नाराज़ जब वो हुई
गीत मेरे ही गाने लगी

साथ मेरे वो जब आ गयी
हर दिशा गुनगुनाने लगी

मौत से है मिलन तयशुदा
ज़िंदगी खुद बताने लगी

नीर नैनों में फिर आ गए
याद कोई सताने लगी

गीत अक्सर बने हैं मेरे
सोच हलचल मचाने लगी

30 comments:

  1. खुबसूरत ग़ज़ल , मुबारक हो

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  2. नीर नैनों में फिर आ गए
    याद कोई सताने लगी
    bahut sunder bhav .

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  3. आज तो अलग ही रंग की गज़ल ..बहुत खूबसूरत

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  4. वाह …………बहुत खूब अन्दाज़्।

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  5. बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही भईया...
    सादर बधाई...

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  6. मौत से है मिलन तयशुदा
    ज़िंदगी खुद बताने लगी

    गजल का यह फलसफाना शेर बेहतरीन है।

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  7. मौत से है मिलन तयशुदा
    ज़िंदगी खुद बताने लगी

    दार्शनिक ख्याल !

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  8. आदरणीय गिरीश जी
    सादर अभिवादन !

    मुझसे नाराज़ जब वो हुई
    गीत मेरे ही गाने लगी

    वाह ! क्या प्यारा शे'र र्है !
    कोई हमसे भी ऐसे नाराज़ क्यों नहीं होती भैया? :)
    पूरी ग़ज़ल के लिए बधाई …


    मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  9. साथ मेरे वो जब आ गयी
    हर दिशा गुनगुनाने लगी

    बहुत बढ़िया ग़ज़ल

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  10. बहुत ही खूबसूरत गजल।
    ----
    कल 08/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  11. बहुत सुंदर मूहोब्बत और जुदाई के रंगों और एहसासों से सुसजित बेहतरीन गजल समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  12. बहुत अच्छी रचना...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  13. लाजवाब ग़ज़ल , साधुवाद .

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  14. वाह.. उम्दा गज़ल.

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  15. bahut hi gajab ki gajal...
    laajwaab..
    jai hind jai bharat

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  16. बहुत खूब हलचल मचाने लगी!

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  17. मौत से है मिलन तयशुदा
    ज़िंदगी खुद बताने लगी

    ग़ज़ल का हर शेर
    खुद ही अपने आप को पढवा रहा है
    वाह !!

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  18. bahut sundar gazallagi..aaj pahli baar aapke blog par aai hun ....achchha lga...

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  19. गीत अक्सर बने हैं मेरे
    सोच हलचल मचाने लगी

    ..इसके आगे की पंक्तियाँ रचने की दुष्टता के लिए क्षमस्व

    वो अगर मुस्कराने लगी,
    जान जोखिमाने लगी.
    जहां-जहां से गुजरी वो,
    मदहोशियां नजर आने लगी.

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  20. मुझसे नाराज़ जब वो हुईं
    गीत मेरे ही गाने लगीं
    सुंदर.

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  21. सर आपकी तो हर रचना कमाल की होती हैं। आप जितनेन अच्छे व्यंगकार हैं उतने ही खुबसूरत श्रृंगार भी रचते हैं। वो गीत गाने लगी।।।.

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  22. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है कल शनिवार (12-11-2011)को नयी-पुरानी हलचल पर .....कृपया अवश्य पधारें और समय निकल कर अपने अमूल्य विचारों से हमें अवगत कराएँ.धन्यवाद|

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  23. buy tramadol online buy tramadol no rx - tramadol online rezeptfrei

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