गिरीश पंकज

व्यंग्यकार की कविताई और व्यंग्यादि

Monday, July 17, 2023

ग़ज़ल/ झूठे लोगों ने चुनाव में

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इश्तहार तो आकर्षक हैं पर कितनी सच्चाई है  झूठे लोगों ने चुनाव में महफ़िल बड़ी सजाई है वादे, जुमले, मुस्कानें और कुछ नकली आँसू ऐसा करके लोगों न...
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Sunday, June 25, 2023

आज वे बंदे हमें ही आँख दिखलाने लगे.....

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 चार दिन सीखे नहीं के सबको सिखलाने लगे चंद ऐसे लोग ही हर सिम्त मंडराने लगे हमने जिनको राह दिखलाई के तुम ऐसे चलो आज वे बंदे हमें ही आँख दिखला...
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Thursday, June 22, 2023

ग़ज़ल/ सरकार के हाथ तलवार

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 हाथ में जिसके यहाँ सरकार देखेंगे जान लो के हाथ में तलवार देखेंगे बात करते हैं मसीहा लोकतन्त्तर की और पीछे खड्ग में कुछ धार देखेंगे सह नहीं ...
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Tuesday, June 20, 2023

गीता प्रेस का अपमान नीचता से कम नहीं

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 गीता प्रेस और गांधी शांति पुरस्कार गिरीश पंकज भारतीय समाज के नव निर्माण में गीता प्रेस, गोरखपुर योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता. उनकी श्...
Wednesday, January 11, 2023

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कविता/ पहाड़ ने कहा  पहाड़ को अगर तुम छेड़ोगे तो पहाड़ तुम्हें नहीं छोड़ेगा  खंड-खंड कर देगा एक दिन तुम सब को जैसे सीता की पुकार पर  फट गई थी...
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