Thursday, December 22, 2011

आप भले हैं इसीलिये 'पंकजजी' दर्द सुनाते हैं ........

सुश्री अनिता सिंह, रायपुर ने  कल फेसबुक में अश्रुपूरित नैनवाला एक चित्र चस्पा किया था. दो लाइनें भी लिखी थी.उसे ही देख कर बनी रचना-
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जी भर याद किया है जब भी नैन मेरे भर आते हैं
वे आयेंगे आते होंगे हम खुद को भरमाते है. 


भर आई ये अखियाँ लेकिन नज़र नहीं तुम आए क्यों
झूठे वादे-सपने मेरे दिल को बहुत दुखाते हैं

सबसे धोखा पाया लेकिन हमने यह भी देखा है
वफादार आँसूं बस निकले हर पल साथ निभाते हैं
 
किस पर करें यकीन यहाँ पर बस धोखा ही धोखा है
इंसानों की बात तो छोडो सपने बहुत सताते हैं

देख रही हैं अखियाँ कब से रस्ता प्यारे मोहन का
जाने वे किस लोक रमे हैं बंसी कहाँ बजाते हैं

दुनियावालो
प्यार न करना केवल दुःख ही मिलता है
सदियों से होता आया है अनुभव यही बताते हैं

दर्द हमेशा कम हो जाये अगर कोई करना चाहे
मगर यहाँ तो जख्मों पर कुछ केवल नमक लगाते हैं

दो पल हमको मिल पाया है प्यार-महब्बत से रह लें
सुबह उगे हम सूरज जैसे और शाम ढल जाते हैं 
 
मत समझो इसको तुम कविता दर्देदिल है ये मेरा
आप भले हैं इसीलिये 'पंकजजी' दर्द सुनाते हैं 

6 comments:

  1. देख रही हैं अखियाँ कब से रस्ता प्यारे मोहन का
    जाने वे किस लोक रमे हैं बंसी कहाँ बजाते हैं]
    Superb..

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  2. मार्मिक कविता के लिए धन्यवाद .

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  3. दर्द हमेशा कम हो जाये अगर कोई करना चाहे
    मगर यहाँ तो जख्मों पर कुछ केवल नमक लगाते हैं..
    सच तो है , तादाद ऐसे लोगों की ही अधिक है !

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  4. बहुत उम्दा है भईया...
    सादर बधाई...

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