Friday, January 6, 2012

कोई मुझसे लिखवाता है / वरना मुझको क्या आता है......

कोई मुझसे लिखवाता है
वरना मुझको क्या आता है
सृजन-कर्म की बात निराली
भीतर कोई है...गाता है
आँसू भी रचते है कविता
अनुभव तो यह बतलाता है
कविता ने जोड़ा है सबको
दुनिया से अपना नाता है
रचना की प्यारी दुनिया में
कौन पराया रह पाता है
रचते-रचते मन भी अपना
रचना जैसा बन जाता है
सोई दुनिया जागे सर्जक
शब्दों से जिसका नाता है
कविताओं के सुंदर घर में
केवल सुंदर-मन आता है
सर्जक को तो ईश्वर आ कर
अपने दर्शन करवाता है
ओ कविते तव दर्शन से ही
अंतर्मन यह सुख पाता है
गीत अगर गीता बन जाये
'कृष्ण' तभी मुस्का पाता है
लिखे-पढ़े तो पंकज अनपढ़
धीरे-धीरे तर जाता है

15 comments:

  1. वाह अनुपम भाव..बेहद सुन्दर.

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  2. "सर्जक को तो ईश्वर आ कर
    अपने दर्शन करवाता है"
    अलौकिक भावाभिव्यक्ति।

    http://meenakshiswami.blogspot.com/2011/12/blog-post_31.html

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  3. Nice .

    मुहब्बत में घायल वो भी है और मैं भी हूँ,
    वस्ल के लिए पागल वो भी है और मैं भी हूँ,
    तोड़ तो सकते हैं सारी बंदिशें ज़माने की,
    लेकिन घर की इज्जत वो भी है और मैं भी हूँ,

    {वस्ल = मिलन} http://mushayera.blogspot.com/2012/01/blog-post_03.html

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  4. बहुत खूब सर!


    सादर

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  5. सुन्दर भाव .............अच्छी पंक्तियाँ ....
    मेरा ब्लॉग पढने और जुड़ने के लिए क्लिक करें.
    http://dilkikashmakash.blogspot.com/

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  6. सृजन-कर्म की बात निराली
    भीतर कोई है...गाता है

    बड़ी ही सुन्दर ग़ज़ल है भईया...
    सादर बधाई.

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  7. सुन्दर भाव से सजी अच्छी रचना .

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  8. गीत अगर गीता बन जाये
    'कृष्ण' तभी मुस्का पाता है
    लिखे-पढ़े तो पंकज अनपढ़
    धीरे-धीरे तर जाता है

    bahut hi sundar abhivyakti ...badhai.

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  9. गीत अगर गीता बन जाये
    'कृष्ण' तभी मुस्का पाता है
    लिखे-पढ़े तो पंकज अनपढ़
    धीरे-धीरे तर जाता है....behtreen panktiyaan.....sundar rachna.....

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  10. सुन्दर शब्दावली, सुन्दर अभिव्यक्ति.

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