कोई मुझसे लिखवाता है
वरना मुझको क्या आता है
सृजन-कर्म की बात निराली
सृजन-कर्म की बात निराली
भीतर कोई है...गाता है
आँसू भी रचते है कविता
आँसू भी रचते है कविता
अनुभव तो यह बतलाता है
कविता ने जोड़ा है सबको
कविता ने जोड़ा है सबको
दुनिया से अपना नाता है
रचना की प्यारी दुनिया में
रचना की प्यारी दुनिया में
कौन पराया रह पाता है
रचते-रचते मन भी अपना
रचते-रचते मन भी अपना
रचना जैसा बन जाता है
सोई दुनिया जागे सर्जक
सोई दुनिया जागे सर्जक
शब्दों से जिसका नाता है
कविताओं के सुंदर घर में
कविताओं के सुंदर घर में
केवल सुंदर-मन आता है
सर्जक को तो ईश्वर आ कर
सर्जक को तो ईश्वर आ कर
अपने दर्शन करवाता है
ओ कविते तव दर्शन से ही
ओ कविते तव दर्शन से ही
अंतर्मन यह सुख पाता है
गीत अगर गीता बन जाये
गीत अगर गीता बन जाये
'कृष्ण' तभी मुस्का पाता है
लिखे-पढ़े तो पंकज अनपढ़
लिखे-पढ़े तो पंकज अनपढ़
धीरे-धीरे तर जाता है
वाह अनुपम भाव..बेहद सुन्दर.
ReplyDeletebahut sunder bhaav ....
ReplyDelete"सर्जक को तो ईश्वर आ कर
ReplyDeleteअपने दर्शन करवाता है"
अलौकिक भावाभिव्यक्ति।
http://meenakshiswami.blogspot.com/2011/12/blog-post_31.html
उत्कृष्ट
ReplyDeleteNice .
ReplyDeleteमुहब्बत में घायल वो भी है और मैं भी हूँ,
वस्ल के लिए पागल वो भी है और मैं भी हूँ,
तोड़ तो सकते हैं सारी बंदिशें ज़माने की,
लेकिन घर की इज्जत वो भी है और मैं भी हूँ,
{वस्ल = मिलन} http://mushayera.blogspot.com/2012/01/blog-post_03.html
wah!!! Bahut sundar...
ReplyDeleteबहुत खूब सर!
ReplyDeleteसादर
सुन्दर भाव .............अच्छी पंक्तियाँ ....
ReplyDeleteमेरा ब्लॉग पढने और जुड़ने के लिए क्लिक करें.
http://dilkikashmakash.blogspot.com/
सृजन-कर्म की बात निराली
ReplyDeleteभीतर कोई है...गाता है
बड़ी ही सुन्दर ग़ज़ल है भईया...
सादर बधाई.
waah bahut hi sundar rachna
ReplyDeleteसुन्दर भाव से सजी अच्छी रचना .
ReplyDeleteगीत अगर गीता बन जाये
ReplyDelete'कृष्ण' तभी मुस्का पाता है
लिखे-पढ़े तो पंकज अनपढ़
धीरे-धीरे तर जाता है
bahut hi sundar abhivyakti ...badhai.
गीत अगर गीता बन जाये
ReplyDelete'कृष्ण' तभी मुस्का पाता है
लिखे-पढ़े तो पंकज अनपढ़
धीरे-धीरे तर जाता है....behtreen panktiyaan.....sundar rachna.....
सुन्दर शब्दावली, सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeletenice lines
ReplyDelete