पहले बहुत मुखर रहते थे, भर देते थे जोश पिता
अब तो बस खोए-खोए-से, रहते हैं खामोश पिता
अब तो बस खोए-खोए-से, रहते हैं खामोश पिता
जिनको पाला-पोसा वे सब, निकले नमकहराम बड़े
ऐसी औलादों पे अक्सर, करते हैं अफसोस पिता
काश हमेशा बच्चे रहते, बने यहाँ हम डैडी क्यों
अपने में ही मस्त-मस्त हैं, दूर हुए कई कोस पिता
इनका भी इक दौर था सबसे कितना ये बतियाते थे
अब तो है केवल तन्हाई, किसको दे फिर दोष पिता
बचपन में जब गिर जाता था, कितना रोया करता था,
चुप होता था उसी घड़ी जब, लेते थे आगोश पिता
दुनिया अपने ढर्रे पर है, कल कितना अच्छा था वो
रिश्तों में बढ़ती खुदगर्जी, रहे बैठ कर कोस पिता
कभी नहीं फरमाइश करते, पढ़ सकते तो पढ़ लो मन
जितना भी मिल जाये उसमें, कर लेते संतोष पिता
अपने सुख को काटा-पीटा, माँ भी रही अभावों में
लेकिन बच्चों की खातिर तो हरदम अक्षय-कोष पिता
बहुत ही संजीदगी से लिखी गई है बधाई स्वीकार करें |
ReplyDeleteअपने सुख को काटा-पीटा माँ भी रही अभावों में
ReplyDeleteलेकिन बच्चों की खातिर बस हरदम अक्षय-कोष पिता
एकदम सच , बहुत सुन्दर.
अपने सुख को काटा-पीटा माँ भी रही अभावों में
ReplyDeleteलेकिन बच्चों की खातिर बस हरदम अक्षय-कोष पिता
वर्तमान में पिता के मर्म को व्यक्त करती सशक्त रचना.
अपने सुख को काटा-पीटा माँ भी रही अभावों में
ReplyDeleteलेकिन बच्चों की खातिर बस हरदम अक्षय-कोष पिता
sateek rachna ....
अपने सुख को काटा-पीटा माँ भी रही अभावों में
ReplyDeleteलेकिन बच्चों की खातिर बस हरदम अक्षय-कोष पिता
गिरीश जी आज की रचना ने तो आँखें ही नम कर दिन .. सटीक प्रस्तुति
बहुत भावपूर्ण रचना है |रचना की हर पंक्ति एक सूक्ति जैसा प्रभाव डालती है |साधुवाद
ReplyDeletebahut hi bhaavpoorn hai..nam ho gaya man...
ReplyDeleteBehtareen abhivyakti...aaj ki sachchai hai....ek tarah se dekha jaay to karara vyang pratit huwa mujhe to.....
ReplyDeleteExcellent Writing.....
बहुत ही शानदार प्रस्तुति ह्रदय से लिखी हुयी बधाई
ReplyDeleteअपने सुख को काटा-पीटा, माँ भी रही अभावों में
ReplyDeleteलेकिन बच्चों की खातिर तो हरदम अक्षय-कोष पिता
...पिता के मन के भावों को अभिव्यक्त करती बहुत मर्मस्पर्शी और सशक्त प्रस्तुति..
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल को पढ़कर मन प्रसन्न हो गया आदरणीय गिरीश भईया....सचमुच अद्भुत है... अपनी यह रचना भी यादबहुत याद आये पिताजी याद आती रही.
ReplyDeleteसादर प्रणाम.