Sunday, November 11, 2012

हर आँगन में दीप जले ......

हर आँगन में दीप जले

हर दिन हो सबकी दीवाली,
दीप ध्यान यह रखना तुम

सिर्फ अमीरों के अंगने में,
जा कर के ना जलना तुम।
खुशी एक बेटी है प्यारी
हर घर फूले और फले।।

सबके हिस्से में हो उत्सव,
नहीं रहे कोई निर्धन।
धन की खातिर कोई न तरसे,
धनतेरस में हो 'खन-खन'.
वो सपना साकार रहे जो,
सपना बारम्बार पले।।

कुछ लोगों की दीवाली है,
बाकी का दीवाला क्यों ?
समझ न आये कुछ लोगों का,
अंतर्मन है काला क्यों ?
कसम हमें इस बार अन्धेरा,
झोंपड़ियों को नहीं छले।।

हर आँगन में दीप जले।

5 comments:

  1. दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

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  2. दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

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  3. हर आंगन में दीप जले

    हर दिन हो सबकी दीवाली,
    दीप ध्यान यह रखना तुम
    सिर्फ अमीरों के अंगने में,
    जा कर के ना जलना तुम।
    खुशी एक बेटी है प्यारी
    हर घर फूले और फले


    बहुत सुंदर भाईजी गिरीश पंकज जी !

    अच्छी रचना है …


    बनी रहे त्यौंहारों की ख़ुशियों हमेशा…

    ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
    ♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
    ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
    सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
    लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान

    **♥**♥**♥**●राजेन्द्र स्वर्णकार●**♥**♥**♥**
    ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ

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  4. उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति.....सशक्त रचना......

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