बहनों की रक्षा करें, अपनी हो या गैर,
खतरे में बहने यहाँ, शत्रु दिखे हैं ढेर . .
रक्षाबंधन और क्या, है मन का विश्वास।
कभी न टूटे बस यही , रखे बहन ये आस.
निर्मल राखी-पर्व है, यहाँ लेन, ना देन,
त्याग, समर्पण ही सदा, सिखलाये दिन-रैन.
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बहने क्या है इक नदी, करती मन को शुद्ध,
जो बहनों को मान दे, होता वही प्रबुद्ध
कदम-कदम पर देखिये, तेजाबी है दौर,
पापी बढ़ते जा रहे, दिखता और न छोर।
निर्मल राखी-पर्व है, यहाँ लेन, ना देन,
ReplyDeleteत्याग, समर्पण ही सदा, सिखलाये दिन-रैन.
बहुत सुन्दर!
शुभकामनाएं!
सादर!
सुंदर सृजन लाजबाब दोहे ,,,
ReplyDeleteRECENT POST : सुलझाया नही जाता.
Happy Rakshabandhan to all
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना.....
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