Tuesday, August 20, 2013

रक्षा बंधन की हार्दिक शुभ कामनाएँ


बहनों की रक्षा करें, अपनी हो या गैर,
खतरे में बहने यहाँ, शत्रु दिखे हैं ढेर . .

रक्षाबंधन और क्या, है मन का विश्वास।
कभी न टूटे बस यही , रखे बहन ये आस.

निर्मल राखी-पर्व है, यहाँ लेन, ना देन,
त्याग, समर्पण ही सदा, सिखलाये दिन-रैन.
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बहने क्या है इक नदी, करती मन को शुद्ध,
जो बहनों को मान दे, होता वही प्रबुद्ध

कदम-कदम पर देखिये, तेजाबी है दौर,
पापी बढ़ते जा रहे, दिखता और न छोर।

4 comments:

  1. निर्मल राखी-पर्व है, यहाँ लेन, ना देन,
    त्याग, समर्पण ही सदा, सिखलाये दिन-रैन.

    बहुत सुन्दर!
    शुभकामनाएं!

    सादर!

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  2. बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना.....

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