आ गईं बेटियां तो खुशी आ गई
यूं लगे फिर नई ज़िंदगी आ गई
घर का कोना तो जैसे अँधेरे में था
एक बेटी से फिर रौशनी आ गई
मुझको मेरी इबादत अधूरी लगी
बेटी तुमसे मुझे बंदगी आ गई
कल तलक बेटियों को रखा बाँध कर
अब तो जैसे उन्हीं की सदी आ गई
ज्ञान जैसे मिला ज़िंदगी में उसे
उसके जीवन में इक सादगी आ गई
मौत का फलसफा जो भी समझे यहाँ
खुद-ब-खुद ही उसे बेखुदी आ गई
दिल ने इंसानियत का सबक पढ़ लिया
जाने कैसे तनिक शायरी आ गई
यूं लगे फिर नई ज़िंदगी आ गई
घर था प्यासा लगे एक सहरा हुआ
बेटी आई तो जैसे नदी आ गई
बेटी आई तो जैसे नदी आ गई
घर का कोना तो जैसे अँधेरे में था
एक बेटी से फिर रौशनी आ गई
मुझको मेरी इबादत अधूरी लगी
बेटी तुमसे मुझे बंदगी आ गई
कल तलक बेटियों को रखा बाँध कर
अब तो जैसे उन्हीं की सदी आ गई
ज्ञान जैसे मिला ज़िंदगी में उसे
उसके जीवन में इक सादगी आ गई
मौत का फलसफा जो भी समझे यहाँ
खुद-ब-खुद ही उसे बेखुदी आ गई
दिल ने इंसानियत का सबक पढ़ लिया
जाने कैसे तनिक शायरी आ गई
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