नदी को गर बचाएंगे नदी हमको बचाएगी
अगर प्यासे रहेंगे तो हमें पानी पिलाएगी
नदी है माँ हमारी उसपे कोई आंच न आए
अगर वो मिट गयी तो फिर हमे भी वो मिटाएगी.
नदी को एक कूड़ादान तो हमने बनाया है
प्रदूषित जल, प्रदूषित मन भी हमने ही मिलाया है
'नदी' को 'दीन' करने का किया है पाप मानव ने
हमीं ने इस सुधा में आके कितना विष मिलाया है
नदी का जल नहीं है जल इसे अमृत समझना है
अगर है जल तो अपना कल भी इससे ही संवरना है
नदी को एक नाले में बदल कर क्या मिला सेठो
तुम्हारी इक हवस से हमको तो बेमौत मरना है
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