Saturday, April 30, 2016

मजदूर दिवस पर एक जन - गीत

जिस देश में हो श्रम का वंदन, 
उस देश में ही उजियारा है .
आदर हो उन सब लोगों का, 
जिनने यह जगत संवारा है.

मजदूर न होते दुनिया में, निर्माण न कोई कर पाते.
ये भवन, नदी, तालाब, सड़क, कैसे इनको हम गढ़ पाते ?
श्रमवीरों के बलबूते ही, अपना ये वैभव सारा है .
जिस देश में हो श्रम का वंदन हो, 
उस देश में ही उजियारा है

जो करते हैं मेहनत पूरी, उन लोगों को सम्मान मिले.
वे भी मनुष्य हैं दुनिया के, उनको सुंदर पहचान मिले.
उनको भी हक हैं जीने का, जितना अधिकार हमारा है ,
जिस देश में हो श्रम का वंदन हो, 
उस देश में ही उजियारा है 
.
जिन लोगो के बलबूते ही यह सुंदर विश्व सजाया है .
ये बाग़ हमारा नहीं, असल में उनका ही सरमाया है .(सरमाया- पूंजी)
हों एक सभी मजदूर विश्व के, हमने यही पुकारा है .
जिस देश में हो श्रम का वंदन हो, 
उस देश में ही उजियारा है

जो सर्जक हैं इस दुनिया के, उनको बस चना-चबेना है ?
जो शोषक हैं उन सबसे ही उत्तर इसका अब लेना है
''हर जोर जुल्म की टक्कर में, संघर्ष हमारा नारा है ''
जिस देश में हो श्रम का वंदन हो, 
उस देश में ही उजियारा है

2 comments:

  1. जिस देश में हो श्रम का वंदन हो,
    उस देश में ही उजियारा है ..काश कि ऐसा हो!

    बहुत सुन्दर प्रेरक सामयिक प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!

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