Monday, May 23, 2016

मछली तूने जान गँवाई

पानी से जब बाहर आई
इक मछली कित्ता पछताई

पानी से जब दूर हुई तो
मछली तूने जान गँवाई

मछली बच गई मगरमच्छ से
इंसानों से ना बच पाई

है शिकार पर बैठी दुनिया
मछली बात समझ न पाई

स्वाद की मारी इस दुनिया में
मछली ज़्यादा जी ना पाई

सावधान रहना तू मछली
जाल बिछा बैठे हरजाई

नदी तेरा घर है ओ मछली
भले जमी हो उसमे काई

मगरमच्छ वो बन गई इक दिन
देख स्वप्न मछली मुस्काई

1 comment:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " भारत का पहला स्वदेशी स्पेस शटल RLV-TD सफलतापूर्वक लॉन्च " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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