'साक्षी'' ने देश का दिल जीत लिया। बेटी ने वो काम किया जो बेटे न कर पाए. बेटियों को समर्पित एक रचना
सुंदर है, दुलारी हैं, मधुबन हैं बेटियाँ
महका रही है आँगन चन्दन हैं बेटियाँ
महका रही है आँगन चन्दन हैं बेटियाँ
'साक्षी मलिक' नहीं ये उपहार देश का
बोलेंगे हम समूचा गुलशन है बेटियाँ
बोलेंगे हम समूचा गुलशन है बेटियाँ
इनको जतन से रखिए इनको संवारिए
वरदान में मिला है वो धन हैं बेटियाँ
वरदान में मिला है वो धन हैं बेटियाँ
बेटे कपूत निकले बेटी नही निकली
है त्याग इसका नाम, समर्पन हैं बेटियाँ
है त्याग इसका नाम, समर्पन हैं बेटियाँ
इनसे न दुराचार करो नर्क मिलेगा
जीवन्त देवियां हैं, वन्दन हैं बेटियाँ
जीवन्त देवियां हैं, वन्दन हैं बेटियाँ
बेटे भले ही भूले गए ये नही भूलीं
पतझर के बाद लगता सावन हैं बेटियाँ
पतझर के बाद लगता सावन हैं बेटियाँ
ये जब भी खनकती हैं बढ़ जाएं रौनकें
हीरो से जड़ी जैसे कंगन हैं बेटियाँ
हीरो से जड़ी जैसे कंगन हैं बेटियाँ
हम कौन हैं और क्या हैं बता देती हैं यही
सच पूछिए तो ऐसा दरपन हैं बेटियाँ
सच पूछिए तो ऐसा दरपन हैं बेटियाँ
रखना इन्हें बचा के दृष्टि हुई मैली
चारो तरफ लुटेरे और धन हैं बेटियाँ
चारो तरफ लुटेरे और धन हैं बेटियाँ
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति सिल्वर मेडल जीतने वाली गोल्डन गर्ल - पीवी सिंधू और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
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