''सद्भावना दर्पण'

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विश्व एक परिवार

>> Friday, May 14, 2021

विश्व एक परिवार ....

मिलजुल कर के रहना सीखें, विश्व एक परिवार है।
यही भाव सबसे उत्तम है, तब सुखमय संसार है।।

एक देश क्यों दूजे पर आ कर के हमला करता है।
ताकतवर देशों से छोटा मुल्क बहुत ही डरता है।
खत्म अगर साम्राज्यवाद हो तो फिर बेड़ा पार है।
मिलजुल कर के रहना सीखें, विश्व एक परिवार है।।

मात-पिता और भाई-बहन सब मिल आपस में रहते हैं।
यही तो है परिवार जहाँ हम दुःख-सुख सारे सहते हैं।
दुनिया का हर मानव अपना, उसे बाँटना प्यार है।
मिलजुल कर के रहना सीखें, विश्व एक परिवार है।।

पासपोर्ट और वीजा क्यों हो, आना-जाना हो निर्बाध।
कितनी अच्छी हो वह दुनिया, जहाँ मुक्त होगा संवाद।
जिसको जहाँ घूमना घूमे, मानव को अधिकार है।
मिलजुल कर के रहना सीखें, विश्व एक परिवार है।।

अब परिवार टूटते दिखते, स्वारथ ही विकराल बना।
बोझ हो गए रिश्ते-नाते, जीवन अब जंजाल बना।
त्याग-समर्पण कहाँ खो गया, इसकी फिर दरकार है।
मिलजुल कर के रहना सीखें, विश्व एक परिवार है।।

घर-परिवार बचाएँ हम सब, तभी रहे जीवन खुशहाल।
इक दूजे को प्यार बाँटना, रखना होगा हृदय विशाल।
मानवता का धर्म यही है और परम् आधार है।
मिलजुल कर के रहना सीखें, विश्व एक परिवार है।।

@ गिरीश पंकज

(संयुक्त राष्ट्र ने 15 मई 2010 को विश्व परिवार दिवस मनाने का निर्णय किया था । उद्देश्य था कि एकल परिवार की अप संस्कृति खत्म हो और सामूहिक परिवार की परंपरा आबाद हो। मैं इससे भी आगे बढ़कर समूचे विश्व को ही एक परिवार के रूप में देखना चाहता हूँ। वैसे भी हमारा आदि-वाक्य यही रहा है, वसुधैव कुटुंबकम)

2 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी May 14, 2021 at 10:25 PM  

कोरोना भी तो यही सिखाने के लिये अवतरित हुआ है। सुन्दर सृजन।

डॉ. जेन्नी शबनम May 20, 2021 at 7:33 AM  

बहुत सुन्दर भाव. किसी भी देश में बिना पासपोर्ट वीजा के जा सकें तो कितना अच्छा हो. पूरे विश्व को एक परिवार की परिकल्पना बहुत अच्छी है. लेकिन एक छोटा परिवार आजकल सँभल नहीं पा रहा. सार्थक और सकारात्मक सन्देश. शुभकामनाएँ.

सुनिए गिरीश पंकज को

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