''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
&COPY गिरीश पंकज संपादक सदभावना दर्पण. Powered by Blogger.

व्यंग्य ग़ज़ल

>> Saturday, May 29, 2021

रामलुभाया....


कुछ करते ना कुछ धरते हैं रामलुभाया
बातें बड़ी-बड़ी कहते हैं रामलुभाया

राजनीति में खपे हुए हैं जाने कब से
जनता से पिटते रहते हैं रामलुभाया

आते हैं वादे करते हैं मटक-मटक कर
मगर कहाँ दुख को हरते हैं रामलुभाया

तरह-तरह के स्वांग रचाने में हैं माहिर
इसीलिए जोकर लगते हैं रामलुभाया

पहले असली नेता ही ज्यादा मिलते थे
अब नकली सिक्के चलते हैं रामलुभाया

कब तक धोखा देते आखिर हार गए न!
हाथ मले औ सिर धुनते हैं रामलुभाया

जनता पर तो धौस जमाते रहते हैं बस
घर पर बीवी से डरते हैं रामलुभाया

राजनीति मतलब उनका है चोखा धंधा
सुबह शाम 'धंधा' करते हैं रामलुभाया

जाने कितने ठग मरते फिर पैदा हो कर
इक दिन हिट नेता बनते हैं रामलुभाया

15 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) May 29, 2021 at 7:49 AM  

रामलुभाया के माध्यम से सटीक व्यंग्य किया है । बेहतरीन ग़ज़ल

कविता रावत May 29, 2021 at 8:08 AM  

रामलुभाया जैसों का ही जमाना है

शुभा May 30, 2021 at 9:53 PM  

सुंदर और सटीक ।

Ananta Sinha May 31, 2021 at 12:30 AM  

आदरणीय सर, आज पाँच लिंकों के द्वारा आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ । आपकी यह व्यंग्य रचना पढ़ कर मन आनंदित है । आपकी कविता ने हँसी से लोट -पोट भी कर दिया और ऐसे रामलुभाया का कच्चा - चिट्ठा खोल कर रख दिया । हृदय से अत्यंत आभार इस सुंदर रचना के लिए । आप जैसे वरिष्ठजन को जानना मेरे लिए सौभाग्य की बात है । मेरा आपसे अनुरोध है कि कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आयें । मैं एक कॉलेज छात्रा हूँ और मैं ने पिछले साल ही अपना ब्लॉग खोला है ।आपके आशीष और मार्गदर्शन के लिए कृतज्ञ रहूँगी। मैं आपके ब्लॉग को फॉलो कर रही हूँ, यहाँ आपकी रचनाएं पढ़ने आती रहूँगी । आपको मेरा सादर प्रणाम व पुनः आभार ।

देवेन्द्र पाण्डेय May 31, 2021 at 1:27 AM  

बहुत खूब

गगन शर्मा, कुछ अलग सा May 31, 2021 at 2:37 AM  

रामलुभाया का आभार, उन्हीं के कारण भूटान प्रवास के बाद आज जा कर पंकज जी से मिलना हो पाया

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' May 31, 2021 at 9:53 AM  

सुन्दर गुरुदेव यही राम्लुभावाना चरित्र वर्तमान में आसमान पर है इन्हीं की पहुँच हैं इन्हीं पर पूँछ है , शानदार

रेणु May 31, 2021 at 10:11 AM  

आदरणीय पंकज जी, गिरगिटिया नेता का चरित्र शब्दों में साकार हो गया। शब्दनगरी में खूब पढ़ा आपको।आज आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 🙏🙏

girish pankaj June 1, 2021 at 4:58 AM  

आभार

girish pankaj June 1, 2021 at 4:59 AM  

आभार

girish pankaj June 1, 2021 at 4:59 AM  

आभार

girish pankaj June 1, 2021 at 4:59 AM  

धन्यवाद

girish pankaj June 1, 2021 at 5:00 AM  

धन्यवाद

girish pankaj June 1, 2021 at 5:00 AM  

आभार

girish pankaj June 5, 2021 at 10:41 PM  

आभार

सुनिए गिरीश पंकज को

  © Free Blogger Templates Skyblue by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP