''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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>> Sunday, September 26, 2021

बेटी दिवस पर विशेष

पतझड़ में मधुमास बेटियाँ
होती हैं विश्वास बेटियाँ

करो 'कल्पना' थोड़ी बेहतर
छू लेती आकाश बेटियाँ

किस्मतवाला घर होता वो
जिसके भी है पास बेटियाँ

बेशक बेटों के जैसे ही
हैं सुंदर एहसास बेटियाँ

जब-जब छाया है अंधियारा
लगने लगीं उजास बेटियाँ 

वक्त पड़े तो हर दानव का 
करती रहीं विनाश बेटियाँ

खेलकूद हो या हो शिक्षा
रचती हैं इतिहास बेटियाँ

@ गिरीश पंकज

2 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) September 27, 2021 at 4:05 AM  

खेलकूद हो या हो शिक्षा
रचती हैं इतिहास बेटियाँ

बेटियों के प्रति सुंदर भावों से सुसज्जित रचना ।

सुशील कुमार जोशी September 27, 2021 at 7:48 PM  

वाह

सुनिए गिरीश पंकज को

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