सुंदर कोमल कली बेटियाँ
होतीं अकसर भली बेटियाँ
कितना मीठा मन रखती हैं
ज्यों मिश्री की डली बेटियाँ
मत बांधो पैरों में बंधन
अंतरिक्ष को चली बेटियाँ
बेटे जब नाकारा निकले
माँ-बाप को भली बेटियाँ
गिरी हुई दुनिया दिखलातीं
ससुरालों में जली बेटियाँ
सुंदर कोमल कली बेटियाँ...
@ गिरीश पंकज
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