परिंदे भी तो अपना इक ठिकाना खोज लेते हैं.....
>> Tuesday, September 29, 2009
दो गज़लें....
(१)
जो हैं आशिक वो अपना आशियाना खोज लेते हैं
हमेशा पास आने का बहाना खोज लेते हैं
ज़माने की न सोचो तुम ज़माना है बड़ा जालिम
यहाँ तो लोग घर बैठे फ़साना खोज लेते हैं
चले आओ कि मेरा दिल तुम्हारा राह तकता है
परिंदे भी तो अपना इक ठिकाना खोज लेते हैं
नही रहता कोई तनहा खुदा की रीत है ऐसी
सुना है बेज़ुबां तक जानेजाना खोज लेते हैं
अगर दिल में महब्बत है तो तपती दोपहर में भी
जो है आशिक वो इक मौसम सुहाना खोज लेते हैं
(२)
तुम किसी का कभी दिल दुखाना नहीं
साँस है बेवफा कुछ ठिकाना नहीं
जब तलक ज़िन्दगी प्यार करते चलो
तुम मगर प्यार को आजमाना नहीं
रौशनी के लिए दीप भी हैं बहुत
भूल कर तुम किसी को बुझाना नहीं
अबके आना मगर तुमको मेरी कसम
दिल मेरा तोड़ कर फ़िर से जाना नही
मुझसे नफ़रत सही पर मेरी शर्त है
गीत पंकज के तुम गुनगुनाना नहीं
8 टिप्पणियाँ:
जो हैं आशिक वो अपना आशियाना खोज लेते हैं
हमेशा पास आने का बहाना खोज लेते हैं
ज़माने की न सोचो तुम ज़माना है बड़ा जालिम
यहाँ तो लोग घर बैठे फ़साना खोज लेते हैं
bahut badiya gazal hai girish bhaiya badhai ho,
ek nivedan hai ki blog se word verification ko hatao tippni me bahut time lagata hai,
मुझसे नफ़रत सही पर मेरी शर्त है
गीत पंकज के तुम गुनगुनाना नहीं
गिरीश भाई यहाँ तक आते आते हम इसे गज़ल की तरह ही गुनगुना रहे थे । उम्दा गज़ल ।
गज़ब हैं जी...एक दमी गज़ब....इससे ज्यादा कुछ कह्ते ही नहीं बनता....
aap sab mitron ka aabhar ki gazale pasand aayeen. hausla milta rahe... to silsila chalta rahe.
pankaj ji, donon rachna behatareen/lajawaab, dheron badhaai.
GIRISHI JI+PANKAJJI (ZEE)
FOR ALL YOUR POEMS ONE PUNJABI LINE :
"AANA SACH NA BOL KAHLA RAH JAVENGA,
CHAR EK BANDE CHHAD L MODHA DEN LAYI"
YOU ARE TRUE TO YOUR WORDS.
IF I AM NOT COMMENTING MEAN I HAVE NO WORDS
ABOVE LINE MEAN :-
AT LAST WE WANT FOUR FOR CEREMATION SO THOSE FOUR MUST BE LEFT.
Girish ji,swargiya ramkumar ji ke ghar raigarh ki gosti main aapse mulakat hui thi.achha laga tha apse milkar aapki rachanaye sunkar. ye dono gajale bhi behetarin hain.badhai.
Ramesh Sharma
shaharnamaraigarh.blogspot.com
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