बेटी पर एक ग़ज़ल...
>> Wednesday, September 30, 2009
बेटी...
बेटी वह जो पीर भुला दे
बेटी जो बस प्रीत जगा दे
बेटी है चंदन की खुशबू
सारे घर को जो महका दे
बेटे लगते भटके राही
बेटी सच्ची राह दिखा दे
बेटी है लक्ष्मीबाई -सी
हिम्मत का जो पाठ पढा दे
बेटी क्या है शीतल छैंया
धरती पर जो स्वर्ग बना दे
बेटी जिसका तन-मन कोमल
जो कोयल की तान सुना दे
बेटी है इक मन्त्र अनोखा
घर अपना दुःख-दर्द भुला दे
बेटी कभी सज़ा न देती
बेटी घर को सदा सजा दे
बेटी क्या है सुंदर पुल है
बेटी सबका मिलन करा दे
बेटा-बेटी सभी बराबर
बेटी सारा फर्क मिटा दे
गिरीश पंकज
13 टिप्पणियाँ:
बेटी क्या है सुंदर पुल है
बेटी सबका मिलन करा दे
लाजवाब पंक्तियां.
बेटी क्या है सुंदर पुल है
बेटी सबका मिलन करा दे
लाजवाब पंक्तियां, आभार.
मेरी तो एक ही बेटी है मुझसे ज़्यादा इस कविता की अहमियत कौन समझ् सकता है ।
बेटा-बेटी सभी बराबर
बेटी सारा फर्क मिटा दे
-बहुत सुन्दर और सत्य बात कही!!
एक ऐसा सत्य उजागर करती रचना जिसे लोग झुटलाने को आतुर हैं:
बेटी क्या है सुंदर पुल है
बेटी सबका मिलन करा दे
यही सत्य है.
beti hai chandan ki khushbu
saare ghr ko jo mehkaa de
waah !!
aise pyaare aur muqaddas ash`aar kahe haiN
aapne apni iss nayaab gzl meiN
padh kar mn ko azeem sukoon haasil hua
mubarakbaad . . .
---MUFLIS---
बेटी हमारे मन की कोमल भावनाएं हैं जो हमें अक्सर गुदगुदाती रहती हैं हमें जीवन्त बनाए रखती हैं। बेटी हमसे कभी दूर नहीं जाती, वह हमेशा हमारे दिल में रहती हैं। आपने बहुत अच्छी भावनाएं अपनी गजल को दी है बधाई।
ati sunder , badhaai.
अरे वाह, भला हो यशवंत भाई का जो आप के ख़ज़ाने में सेंध लगा कर इतना क़ीमती नगीना ढूँढ निकाला। बहुत अच्छे सर जी।
wah bahut sundar rachna :)
mere blog par bhi aapka swagat hai :)
atulniy panktiya..
बहुत उम्दा ग़ज़ल भईया....
पता नहीं कैसे पढने से रह गयी थी....
सादर...
गिरीश जी,.बेटी पर लिखी रचना बहुत अच्छी लगी
मेरे पुराने पोस्ट में बेटियों पर लिखी मेरी रचना "वजूद"पर आपकी नजर चाहूँगा,..
मेरे नए पोस्ट की चंद लाइने पेश है..........
नेताओं की पूजा क्यों, क्या ये पूजा लायक है
देश बेच रहे सरे आम, ये ऐसे खल नायक है,
इनके करनी की भरनी, जनता को सहना होगा
इनके खोदे हर गड्ढे को,जनता को भरना होगा,
अगर आपको पसंद आए तो समर्थक बने....
मुझे अपार खुशी होगी........धन्यबाद....
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