''सद्भावना दर्पण'

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बेटी पर एक ग़ज़ल...

>> Wednesday, September 30, 2009


बेटी...

बेटी वह जो पीर भुला दे
बेटी जो बस प्रीत जगा दे

बेटी है चंदन की खुशबू
सारे घर को जो महका दे

बेटे लगते भटके राही
बेटी सच्ची राह दिखा दे

बेटी है लक्ष्मीबाई -सी
हिम्मत का जो पाठ पढा दे

बेटी क्या है शीतल छैंया
धरती पर जो स्वर्ग बना दे

बेटी जिसका तन-मन कोमल
जो कोयल की तान सुना दे

बेटी है इक मन्त्र अनोखा
घर अपना दुःख-दर्द भुला दे

बेटी कभी सज़ा न देती
बेटी घर को सदा सजा दे

बेटी क्या है सुंदर पुल है
बेटी सबका मिलन करा दे

बेटा-बेटी सभी बराबर
बेटी सारा फर्क मिटा दे

गिरीश पंकज

13 टिप्पणियाँ:

36solutions September 30, 2009 at 8:50 AM  

बेटी क्या है सुंदर पुल है
बेटी सबका मिलन करा दे

लाजवाब पंक्तियां.

36solutions September 30, 2009 at 8:56 AM  

बेटी क्या है सुंदर पुल है
बेटी सबका मिलन करा दे

लाजवाब पंक्तियां, आभार.

शरद कोकास September 30, 2009 at 11:28 AM  

मेरी तो एक ही बेटी है मुझसे ज़्यादा इस कविता की अहमियत कौन समझ् सकता है ।

राजेश स्वार्थी September 30, 2009 at 7:34 PM  

बेटा-बेटी सभी बराबर
बेटी सारा फर्क मिटा दे

-बहुत सुन्दर और सत्य बात कही!!

Udan Tashtari September 30, 2009 at 7:36 PM  

एक ऐसा सत्य उजागर करती रचना जिसे लोग झुटलाने को आतुर हैं:

बेटी क्या है सुंदर पुल है
बेटी सबका मिलन करा दे


यही सत्य है.

daanish September 30, 2009 at 7:55 PM  

beti hai chandan ki khushbu
saare ghr ko jo mehkaa de

waah !!
aise pyaare aur muqaddas ash`aar kahe haiN
aapne apni iss nayaab gzl meiN
padh kar mn ko azeem sukoon haasil hua
mubarakbaad . . .
---MUFLIS---

अजित गुप्ता का कोना September 30, 2009 at 8:42 PM  

बेटी हमारे मन की कोमल भावनाएं हैं जो हमें अक्‍सर गुदगुदाती रहती हैं हमें जीवन्‍त बनाए रखती हैं। बेटी हमसे कभी दूर नहीं जाती, वह हमेशा हमारे दिल में रहती हैं। आपने बहुत अच्‍छी भावनाएं अपनी गजल को दी है बधाई।

Yogesh Verma Swapn October 1, 2009 at 7:53 AM  

ati sunder , badhaai.

www.navincchaturvedi.blogspot.com December 12, 2011 at 8:45 PM  

अरे वाह, भला हो यशवंत भाई का जो आप के ख़ज़ाने में सेंध लगा कर इतना क़ीमती नगीना ढूँढ निकाला। बहुत अच्छे सर जी।

Monika Jain December 12, 2011 at 9:32 PM  

wah bahut sundar rachna :)
mere blog par bhi aapka swagat hai :)

आशा बिष्ट December 12, 2011 at 11:33 PM  

atulniy panktiya..

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') December 13, 2011 at 6:01 AM  

बहुत उम्दा ग़ज़ल भईया....
पता नहीं कैसे पढने से रह गयी थी....

सादर...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया December 13, 2011 at 9:04 AM  

गिरीश जी,.बेटी पर लिखी रचना बहुत अच्छी लगी
मेरे पुराने पोस्ट में बेटियों पर लिखी मेरी रचना "वजूद"पर आपकी नजर चाहूँगा,..

मेरे नए पोस्ट की चंद लाइने पेश है..........

नेताओं की पूजा क्यों, क्या ये पूजा लायक है
देश बेच रहे सरे आम, ये ऐसे खल नायक है,
इनके करनी की भरनी, जनता को सहना होगा
इनके खोदे हर गड्ढे को,जनता को भरना होगा,

अगर आपको पसंद आए तो समर्थक बने....
मुझे अपार खुशी होगी........धन्यबाद....

सुनिए गिरीश पंकज को

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