''सद्भावना दर्पण'

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मन में गर उत्साह रहे तो रोजाना दीवाली...

>> Saturday, October 10, 2009

एक गीत ऐसा भी...
मन में गर उत्साह रहे तो
रोजाना दीवाली है......

मन में गर उत्साह रहे तो रोजाना दीवाली है,
वरना इस महंगाई में तो रूखी-सूखी थाली है।।

जो गरीब है, वह भी तो त्यौहार मनाया करता है,
लेकिन पूछो तो खुशियाँ वह कैसे लाया करता है।
भीतर आँसू हैं, बाहर मुस्कान दिखाई देता है,
पीड़ा भी धन वालों को इक गान सुनाई देता है।

सच पूछो तो मेहनतकश की जेब यहाँ पर खाली है।
मन में गर उत्साह रहे तो रोजाना दीवाली है...

धन है जिनके पास वही अब, धन्य यहाँ कहलाता है,
लक्ष्मी को लेकर उल्लू भी ऐसे दर पर जाता है।
ज्ञान तुम्हारे पास है केवल अगर नही कुछ पैसा है,
तो फ़िर ऐरा-गैरा भी कह देगा ऐसा-वैसा है।
पाखंडी है दौर यहाँ सच्चाई लगती गाली है।।
मन में गर उत्साह रहे तो रोजाना दीवाली है......

ऊंचा-नीचा, आडा-तिरछा, यह समाज का चेहरा है,
जो निर्धन है उसकी हर मुस्कान पे दिखता पहरा है।
लाखो बच्चे भूखे है, मुस्कान कहाँ से लायेंगे?
समता में डूबा हम हिंदुस्तान कहाँ से लायेंगे?
जा कर देखो बस्ती में तुम कहाँ-कहाँ कंगाली है।।
मन में गर उत्साह रहे तो रोजाना दीवाली है......

2 टिप्पणियाँ:

ब्लॉ.ललित शर्मा October 11, 2009 at 1:20 AM  

जय-जय-जय 36 गढ महतारी
रीता होगे धान कटोरा जुच्छा परगे थारी,
बहुत बढिया देवारी के गीत हवय,
सबे के देवारी हे,सुरहुति के दियना हा तो जम्मो घर म बरही
गिरीश भैया आप ला गाड़ा-गाड़ा बधई

Yogesh Verma Swapn October 11, 2009 at 2:21 AM  

behatareen abhivyakti.

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