मुझे गरीबी में रहने दो
>> Tuesday, October 13, 2009
सच की राह में दुश्वारी है.
लेकिन अपनी तैयारी है.
चाहे जितनी तकलीफें हों,
इन सबसे अपनी यारी है
पास तुम्हारे गर दौलत है
अपने हिस्से खुद्दारी है.
मुझे गरीबी में रहने दो
दौलत भी तो बीमारी है.
बिछे जा रहे ये चरणों पर
कुछ पाने की लाचारी है.
जितना चाहे इम्तिहान लो
मैंने हिम्मत कब हारी है
मरते हैं सच कहने वाले
सदियों से यह सब जारी है
जितना चाहे इम्तिहान लो
मैंने हिम्मत कब हारी है
मरते हैं सच कहने वाले
सदियों से यह सब जारी है
3 टिप्पणियाँ:
गरीब कौन है और कौन नहीं
इसका ना हिसाब करो।
जो भी करो बस दिल से करो
कभी ना टाईम पास करो।।
ऐसा करोगे तो एक दिन
टाईम तुम्हें, पास कर जाएगा।
बित गया वक्त यदि तो
हाथ कभी नहीं आएगा।
जिसका वक्त बिता देता है,
वह गरीब बन जाता है।
जो वक्त को समझ लेता है
वही धनवान बन जाता है।
wah girish ji , eke se badhkar ek behatareen rachnayen post kar rahe hain, prashansa ke shabd kam padne lage hain.
yogesh bhai, blog k jariye apne jivan ka shreshth logo tak pahuchaoon. koshish jari hai. se n sune koi meri pukar. log padhe aur soche. amal me laa sake to aue sundar. blog mere liye ek madhyam hai, bhadas nikalne ka nahi, pyar baantane ka, sadbhav failane ka...
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