शक्तिस्वरूपा सुन्दर लड़की, क्या पता था दुःख गहन आ जाएगा....
>> Wednesday, March 24, 2010
बहुत दिनों से मैंने अपनी ग़ज़ले नहीं दीं, सो इस बार दो ताज़ा ग़ज़ले. नवरात्र के अवसर पर स्त्रीशक्ति की पूजा की जाती है इसलिए पहले लड़की पर केन्द्रित एक ग़ज़ल,
(१)
शक्तिस्वरूपा सुन्दर लड़की
उड़ती है बांधे 'पर' लड़की
अपनी ही धुन में चलती है
हो धरती या अम्बर लड़की
मुस्काना सिखलाती है ये
हो चाहे आंसूघर लड़की
कौन भला अब रोके इसको
ऊंचा उठता है स्वर लड़की
यही ठिकाना है दुनिया का
मानो है पावन-दर लड़की
तितली, फूल, सुगंधोंवाला
है आँगन, है निर्झर लड़की
अब अपनी अलग रंगत की ग़ज़ल
(२)
क्या पता था दुःख गहन आ जाएगा
याद मेरा हमवतन आ जाएगा
ये सियासत की अदा क्या खूब है
मार देगी फिर कफ़न आ जाएगा
हौसला रक्खो करो बस काम तुम
देख लेना तुम कि धन आ जाएगा
टूटने से तू दुखी न हो कभी
फिर कोई सुन्दर सपन आ जाएगा
मत डरो पतझार से चलते चलो
एक दिन तेरा चमन आ जाएगा
7 टिप्पणियाँ:
आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
ये सियासत की अदा क्या खूब है
मार देगी फिर कफ़न आ जाएगा
-वाह! दोनों ही गज़लें बहुत शानदार!
शक्तिस्वरूपा का जवाब नहीं ।
शहीद भगत सिंह पर एक रपट यहाँ भी देखें
http://sharadakokas.blogspot.com
टूटने से तू दुखी न हो कभी
फिर कोई सुन्दर सपन आ जाएगा
मत डरो पतझार से चलते चलो
एक दिन तेरा चमन आ जाएगा
wah girish ji, donon behatareen.
दोनो गज़ल खूबसूरत्………………शक्ति स्वरूप पर मैने भी कुछ शब्द लिखे है अपने ब्लोग पर मगर लोग उसके भाव कम ही समझे………………बहुत सुन्दर भाव भरे है आपने।
http://ekprayas-vandana.blogspot.com
दोनों गजलें बहुत ही सुंदर और सामयिक हैं आपकी लेखनी के क्या कहने ! आभार !
यही ठिकाना है दुनिया का
मानो है पावन-दर लड़की
तितली, फूल, सुगंधोंवाला
है आँगन, है निर्झर लड़की
....बहुत सुन्दर व प्रसंशनीय अभिव्यक्ति ... दोनों ही गजलें लाजबाव हैं, बधाईंया!!!!!
Post a Comment