नई ग़ज़ल/ छल से छलके नैन हमारे , आज हमारा जगराता है
>> Saturday, July 17, 2010
हम सबका जीवन विविधताओं से भरा हुआ है. अनुभव, स्थितियां सबके अनेक रंग हैं. दुःख है तो सुख भी है. दुःख आया है तो सुख की संभावना भी बनी हुई है. कई बार मै भी घबरा जाता हूँ, लेकिन मुझे अपनी ही पंक्तियाँ समझने लगाती है. परम्परा में भी बहुत सी कविताएँ हैं, उक्तियाँ है. ये सब हमें हौसलादेती हैं. यह सच है, कि खोटे सिक्के भी चलते है, लकिन कभी-कभी. अक्सर खरे सिक्के ही चलते है. अच्छे लोग ज्यादा दिन तक दबे नहीं रह सकते. प्रतिभा सामने आती ही है. सर्जक को सर्जक मिलता ही है. और तब उसकी रचना सार्थक हो जाती है. और भी बहुत-सी बातें है. प्रस्तुत ग़ज़ल के हर शेर में इस दौर के हालात का बयान करने की कोशिश है. अभी की, और आने वाले समय की स्थितियों को भी देखने की विनम्र कोशिश की गयी है. सुधी पाठक मेरी ताकत है. उनसे अपेक्षा है, कि हमेशा की तरह इसे भी दिल से पढ़े---
दुःख के पीछे सुख आता है
अनुभव हमको बतलाता है
अंधकार ये मिट जाएगा
सूरज हमको समझाता है
'जीने' का जो हुनर जानता
'मरने' से वह बच जाता है
जिसने खुद को सदा सँवारा
इस दुनिया में छा जाता है.
धीरज रक्खो, सोचो थोडा
चंचल मन तो उकसाता है
सर्जक के मन के भावों को
बस सर्जक ही पढ़ पाता है.
अंधों की बस्ती में ही बस
खोटा सिक्का चल पाता है
दुनिया को दिखलाने खातिर
दिल रोता है पर गाता है
जब तक हो तुम नेक करो कुछ
यह जीवन फिर कब आता है
नया दौर है कौन यहाँ पर
माँ-बाप से घबराता है
छंद साधना से बनता है
अब तो कुछ भी चल जाता है
तुझे देख कर खुश होता हूँ
कुछ ना कुछ गहरा नाता है
छल से छलके नैन हमारे
आज हमारा जगराता है
असफलताएँ, आँसू, सपने
पंकज का अपना खाता है.
21 टिप्पणियाँ:
सीख देती प्रभावी रचना
सकारात्मक सन्देश देती सुन्दर ग़ज़ल..
जब तक हो तुम नेक करो कुछ
यह जीवन फिर कब आता है
वाह बहुत सुंदर संदेश
धन्यवाद
सुन्दर रचना
हौसला देती हुई ..एक बढ़िया ग़ज़ल....यही ख़ासियत होती है आपके ग़ज़ल मानवीय संवेदनाओं को साथ लेकर चलते है....खूबसूरत रचना के लिए हार्दिक बधाई
छल से छलके नैन हमारे
आज हमारा जगराता है
असफलताएँ, आँसू, सपने
पंकज का अपना खाता है.
भैया एक खाता हमारा भी है,
जो बरसों से खुला है और रोज खजाना बढ रहा है।
सुंदर गजल के लिए आभार
भईया प्रणाम.
ऐसी सुन्दर, सहज, सरल, शिक्षाप्रद ग़ज़ल पढ़ना अपने आप में सुखद अनुभूति है.
धन्यवाद्.
छल से छलके नैन हमारे
आज हमारा जगराता है
...अदभुत भाव, बेहद प्रसंशनीय रचना!!!
its rqrd to b optimistic.......very gud thoughts sir.
मंगलवार 19 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है आभार
http://charchamanch.blogspot.com/
मंगलवार २० जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है आभार
http://charchamanch.blogspot.com/
दिनांक गलत छप गयी थी ..
वाह गिरीश पंकज भैया
बहुत अच्छे !
अंधों की बस्ती में ही बस
खोटा सिक्का चल पाता है
क्या संयोग है !… मैंने भी अपने ब्लॉग पर खोटे सिक्कों की बात की है …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
'जीने' का जो हुनर जानता
'मरने' से वह बच जाता है
बेहतरीन!………आभार।
जब तक हो तुम नेक करो कुछ
यह जीवन फिर कब आता है....बेहद प्रसंशनीय रचना
ek sakaaraatmak soch ke sath, behad khubsoorati se ukeri huyi umda rachna... aabhar...
सुन्दर ग़ज़ल ...आभार..
उत्साह वर्धन करती रचना.
आभार.
.बेहद प्रसंशनीय रचना
.बेहद प्रसंशनीय रचना
बहुत अच्छा....मेरा ब्लागः"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com .........साथ ही मेरी कविता "हिन्दी साहित्य मंच" पर भी.......आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे...धन्यवाद
अच्छे शेर,बेहतरीन ग़ज़ल.
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