नई ग़ज़ल/करेगा रावन शासन कब तक?
>> Saturday, October 16, 2010
दशहरा..... इस दिन बुराइयों का प्रतीक रावन मरता है. और भी कुछ असुर मरेंगे. इनको मरना ही चाहिए. समाज की खुशहाली के लिये ज़रूरी है इनकी मौतें. मैं ही क्या, बहुत-से लोग इस बारे में लिखेंगे. पिछले दो दशक से इस मौके पर कुछ न कुछ लिखा है मैंने. कभी गद्य-व्यंग्य, कभी नुक्कड़ नाटक (जैसे पुलिस अत्याचार पर केन्द्रित ''रावण शर्मिंदा है''-१९९६) तो कभी गीत. लिखना मेरा काम है. उससे फर्क कितना पड़ता है, इससे कोई लेना-देना नहीं. केवल लिखना ही मेरा और आप का धर्म है. बदलाव कब आएगा, कहा नहीं जा सकता, लेकिन लिखना चाहिए. आवाज़ उठनी चाहिए. अब तक ज़िंदा है रावन..ज़िंदा है तरह-तरह के असुर. मैं और आप सब पूछ रहे है कि ये ज़िंदा रहेंगे तो कब तक रहेंगे? कब तक...?
करेगा रावन शासन कब तक?
चलेगा आखिर प्रहसन कब तक?
रहेगा ऊँचा रावन कब तक?
मिल कर मारेंगे रावन को
टूटा-फूटा जीवन कब तक?
जनता अब रावन को मारे
सुनेगी आखिर भाषन कब तक?
राम बेचारा निर्वासित है
करेगा रावन शासन कब तक?
रावन ऊँचा उठता जाये
राम का ये बौनापन कब तक?
जागो-जागो बहुत हो गया
वर्षों का शव-आसन कब तक?
लूट रहे हैं इज्ज़त सबकी
जीएंगे दुस्शासन कब तक?
नकली उत्सव बहुत हो गए
जीयें असली जीवन कब तक?
कदम-कदम पर असुर हँस रहे
सुनें पाएंगे क्रंदन कब तक?
आखें हो तो ठीक-ठाक है
पर अंधों को अंजन कब तक?
मुफ़्तखोर ही पैसेवाले
मेहनतकश ही निर्धन कब तक?
साँप विराजेंगे मंचों पर
और निर्वासित चंदन कब तक?
चलेगा आखिर प्रहसन कब तक?
रहेगा ऊँचा रावन कब तक?
11 टिप्पणियाँ:
रावण और भाषण मेरे सिस्टम स्क्रीन पर रावन और भाषन दिखाई पड़कर इस अच्छी प्रासंगिक रचना को पढ़ने में व्यवधान बन रहे हैं.
... प्रसंशनीय ... आभार !
बेहतरीन अभिव्यक्ति !
विजयादशमी की बहुत बहुत बधाई !!
आपका इंतजार बेसब्री से हो रहा था
कि कुछ उम्दा गजल पढने मिलेंगी।
और वही हुआ आते ही सिक्सर मार दिया आपने।
विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
दशहरा में चलें गाँव की ओर-प्यासा पनघट
भईया सटीक, बेहतरीन और सामयिक अभिव्यक्ति के लिए आपको साधुवाद प्रणाम, साथ ही आपको एवं आपके परिवार, इष्ट मित्रो सहित समस्त सम्माननीय पाठकों को विजयोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं.
यह भी पढ़ें: "रावन रहित हो हर ह्रदय" http://smhabib1408.blogspot.com/
ग़ज़ल में यथार्थ का चित्रण है तो तीक्ष्ण कटाक्ष भी है, सुंदर प्रस्तुति...दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं।
हाहाहा ..जागो जागो को जागो जोगी पढ़ गया ।
रावन का रावण बनाने के लिए शिफ्ट के साथ एन दबाएं। निलम्बनडॉटकॉम से रसरंग को रंगीन करने के लिए शुभकामनाएं।
बहुत सुंदर, धन्यवाद
विजयादशमी की बहुत बहुत बधाई
ग़ज़ल में यथार्थ भी है, कटाक्ष भी है, पूर्ण समसामयिकता है.बधाई। दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं।
बेहतरीन और सामयिक.....सुंदर प्रस्तुति
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