नई ग़ज़ल/ नादाँ है निर्धन का बच्चा फिर भूखा सो जाएगा
>> Tuesday, October 19, 2010
सबकी अपनी-अपनी मंजिल होती है. पूरा जीवन उसे पाने की यात्रा है. किसी को धन चाहिए, किसी को भवन चाहिए. किसी को यौवन चाहिए. किसी को अधिकार, किसी को अनेक लोगों काप्यार..तरह-तरह कि मंजिलें हैं. मुझे दूसरों की मंजिलों का पता नहीं, लेकिन मेरी मंज़िल है- अच्छा लिखना. अच्छा मनुष्य बनने की कोशिश करना. उस दिशा में प्रयास जारी है. सफलता कब मिलेगी पता नहीं. लेकिन चलना मेरा काम है. यात्रा जारी है. इसी भाव-भूमि पर कुछ शेर बन गए. पेश है मेरे प्रिय पाठको के लिये.
अगर धूप में जलते हैं तो बेशक इनको जलने दो
मंजिल तक तो पहुंचेंगे ही इन पैरों को चलने दो
हार गए हम मौसम से तो ये अपनी कमजोरी है
तुम तो अपना काम करो इस मौसम को बस छलने दो
अपनी धुन में चलते जाना रुकना तेरा काम नहीं
दुनिया करती है दो बातें तो फिर उसको करने दो
चलते-चलते गिर भी जाएँ तो उठ कर फिर चलना है
हँसने वाले हँसते ही हैं उनको केवल हँसने दो
अक्सर टूटा करते हैं पर सच भी होते रहते हैं
पलते हैं आँखों में सपने तो फिर उनको पलने दो
अगर आदमी कहलाना है तो फिर मत खामोश रहो
अन्दर है जो लहू उसे तुम थोड़ा-बहुत उबलने दो
नन्हा-मुन्ना बच्चा है वह इक दिन दौड़ लगाएगा
अभी उसे तुम थोड़ा-थोड़ा गिरने और सँभलने दो
नादाँ है निर्धन का बच्चा फिर भूखा सो जाएगा
टूटे-फूटे खेल-खिलौनों से ही उसे बहलने दो
10 टिप्पणियाँ:
गजलों से भी हो सकती गज़ब की हौसलाअफसाई,
ख्यालों को इसी तरह 'नीरज',कागज़ पर पिघलने दो ..
बहुत उम्दा पेशकश.. लिखते रहिये ...
haha ! 'neeraj' nahi 'pankaj' ,,,, khair... samaanaarthi hi samajhiye .. !
नादाँ है निर्धन का बच्चा फिर भूखा सो जाएगा
टूटे-फूटे खेल-खिलौनों से ही उसे बहलने दो
अजी इस गरीब बच्चे के पास तो टूटे फ़ुटे खिलोने भी नही होते, बेचारा पत्थरो से ही खेल लेता हे, बहुत सुंदर गजल धन्यवाद
अति-सुन्दर पोस्ट .
"काव्य रसिक तट पर बैठेंगे, अपनी प्यास बुझाने को,
कलम आपकी इक निर्झरनी, अविरत कलकल बहने दो."
बेहतरीन शिक्षाप्रद, उत्साहवर्धक ग़ज़ल के लिए आपको सादर प्रणाम.
ज़िन्दगी की सच्चाईयों का दर्शन कराती एक बेहतरीन गज़ल्।
अगर आदमी कहलाना है तो फिर मत खामोश रहो
अन्दर है जो लहू उसे तुम थोड़ा-बहुत उबलने दो
वाह गिरीश भाई वाह...बेहतरीन गज़ल...बधाई
नीरज
... बहुत सुन्दर ... बेहतरीन ... आभार !!!
बेहतरीन गज़ल्।
आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
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