ग़ज़ल/ जब तिमिर बढ़ने लगे तो दीप को जलना पड़ेगा.......
>> Monday, November 1, 2010
बहुत दिनों के बाद आया हूँ . इस बीच बहुत-से अच्छे ब्लागर-मित्रों तक भी नहीं जा पाया. इसका मलाल है. उन सबको पढ़ाने का भी समय निकालूँगा. इधर अपने ब्लॉग पर खुद कोई नई रचना भी पोस्ट नहीं कर पाया. आज समय मिला, सो दीपावली पर एक ग़ज़ल दे रहा हूँ. उम्मीद तो करता हूँ कि मेरे आत्मीय पाठकों को पसंद आनी चाहिए.आप जैसे मित्रों को ध्यान में रख कर यह रचना लिखी है. हर कोई टिप्पणी करे, यह ज़रूरी नहीं, लोग पढ़े ज़रूर, यही ख्वाहिश है. मेरे विचार उनकी स्मृति में बने रहे, यह ज़रूरी है. 5 नवम्बर को दीपावली है. ज्यादा दूर नहीं है. तैयारी अभी से चल रही है. सबकी. खरीदी, घर की साफ़-सफाई.. नए कपडे, आदि-आदि. लेकिन कवि त्योहारों को भी चिंतन के साथ जोड़ कर देखता है.
जब तिमिर बढ़ने लगे तो दीप को जलना पड़ेगा
दैत्य हुंकारें अगर तो देव को हँसना पड़ेगा
दैत्य हुंकारें अगर तो देव को हँसना पड़ेगा
दीप है मिट्टी का लेकिन हौसला इस्पात-सा
हमको भी इसके अनोखे रूप में ढलना पड़ेगा
लक्ष्य पाने के लिये आराधना के साथ ही
लक्ष्य के संधान हेतु पैर को चलना पड़ेगा
लक्ष्य के संधान हेतु पैर को चलना पड़ेगा
रौशनी के गीत गायें हम सभी मिल कर यहाँ
प्यार की गंगा बहाने प्यार से बहना पड़ेगा
सूर्य-चन्दा हैं सभी के रौशनी सबके लिये
इनकी मुक्ति के लिये आकाश को उठना पड़ेगा
जिन घरों में कैद लक्ष्मी और बंधक रौशनी
उन घरों से वंचितों के वास्ते लड़ना पड़ेगा
कब तलक पंकज रहेंगे इस अँधेरे में कहो
तोड़कर चुप्पी हमें अब कुछ न कुछ करना पड़ेगा
13 टिप्पणियाँ:
जिन घरों में कैद लक्ष्मी और बंधक रौशनी
उन घरों से वंचितों के वास्ते लड़ना पड़ेगा
हमेशा की तरह बहुत सुंदर रचना.
आप को जन्म दिन की बधाई ओर शुभकामनाये
सच्चाई से भरी गजल
जब तिमिर बढ़ने लगे तो दीप को जलना पड़ेगा...
रौशनी का आवाहन करती सुंदर रचना।
आपको ज्न्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं।
हार्दिक शुभ कामनाएं
पंकज जी को सुरीली शुभ कामनाएं : अर्चना जी के सहयोग से
दीप है मिट्टी का लेकिन हौसला इस्पात-सा
हमको भी इसके अनोखे रूप में ढलना पड़ेगा
आपको ज्न्मदिन की बधाई और
हार्दिक शुभ कामनाएं.....
बहुत सुन्दर लिखा है आपने...
Bahut sundar rachna.........
बहुत प्रेरक रचना...आपकी लेखनी को नमन.
नीरज
जिन घरों में कैद लक्ष्मी और बंधक रौशनी
उन घरों से वंचितों के वास्ते लड़ना पड़ेगा ।
ये शब्द पंक्तियों में ढल के बहुत कुछ कह रहे हैं ...आभार इस सुन्दर प्रस्तुति के लिये ।
आपको जन्म दिन की बधाई और
हार्दिक शुभकामनाएं !
धन तेरस की असीम शुभकामनाएं !
भईया हमेशा की तरह शानदार ग़ज़ल.
जानकारी न होने से हुए विलम्ब के लिए क्षमायाचना सहित आपको जन्मदिन की बधाई. और धनतेरस पर हार्दिक शुभकामनाएं. प्रणाम.
बहुत प्रेरक रचना...हमेशा की तरह बहुत सुंदर रचना.
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