''सद्भावना दर्पण'

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महंगाई डायन के नाम एक खुला ख़त

>> Saturday, January 15, 2011

नईदुनिया, रायपुर में १५-१-२०११ के अंक में प्रकाशित व्यंग्य.......

7 टिप्पणियाँ:

केवल राम January 15, 2011 at 9:13 AM  

आपका ख़त ...महंगाई डायन को ......अरे वाह

राज भाटिय़ा January 15, 2011 at 10:03 AM  

अजी यह महगाई डायन को लिखा पत्र तो बहुत अच्छा लगा, लेकिन यह डायन के जन्म दाता को भी एक पत्र लिख देते तो अच्छा था, बहुत सुंदर पत्र जी, धन्यवाद

निर्मला कपिला January 15, 2011 at 7:30 PM  

सही कहा भाटिया जी ने मंहगाई का क्या कसूर है उसे बुलाने वाले त्क़ाँत्रिक [मंत्रियों] के नाम खत लिखें। आभार।

महेन्‍द्र वर्मा January 15, 2011 at 11:58 PM  

बहुत ही धारदार व्यंग्य लिखा है पंकज जी आपने।

ये पेट्रोल डीज़ल वाले इस मंहगाई डायन के भाई-बंद जैसे लगते हैं।

विनोद कुमार पांडेय January 16, 2011 at 9:24 AM  

बेहतरीन व्यंग्य रचना...बिल्कुल सच बात है आज कल हर जगह बस मँहगाई की ही बात हो रही है..और सब परेशान भी सबसे ज़्यादा मँहगाई से ही है..

सटीक रचना के लिए हार्दिक बधाई..प्रणाम

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') January 19, 2011 at 9:09 AM  

शानदार व्यंग्य भैया...
सादर...

गौरव शर्मा "भारतीय" January 21, 2011 at 6:52 AM  

प्रणाम,
नई दुनिया में इस पत्र को पढने का अवसर मिला वाकई इस पत्र की एक पंक्ति भी महंगाई डायन तक पहुँच गयी तो स्थिति शायद कुछ सुधर जाये |
मुझ अकिंचन की और से इस प्रभावी एवं सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें |

सुनिए गिरीश पंकज को

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