नई ग़ज़ल / दूसरों पे न कीचड उछाला करो.....
>> Monday, January 17, 2011
जब भी नई ग़ज़ल पोस्ट करता हूँ तो कुछ कहने की कोई खास ज़रुरत इसलिये नहीं रहती, कि हर शेर खुद अपनी बात कहने की कोशिश तो करता ही है. और मेरे जो चहेते पाठक हैं, उनको कुछ बताने-समझाने की भी ज़रुरत ही नहीं क्योंकि वे खुद अच्छे लेखक-विचारक हैं. मेरी ग़ज़लों को बड़े चाव से पढ़ने वाले बढ़े है. भले ही अधिक लिखित प्रतिक्रियाएं न भी मिलें लेकिन लोग पढ़ते है, इतना मैं जानता हूँ..बहरहाल, इस नई ग़ज़ल को भी सुधी लेखक-पाठक पढ़ेंगे, इसी आशा के साथ---
दूसरों पे न कीचड उछाला करो
खुद के चेहरे को भी तुम निहारा करो
अपने घर को ही रौशन किया मत करो
हैं जहाँ भी अन्धेरे उजाला करो
तुम ही दुनिया में सबसे बड़े आदमी
इस तरह के भरम तो न पाला करो
दिल में गुस्सा भड़कने लगे जिस घड़ी
हर गलत फैसला कल पे टाला करो
गलतियाँ तुम बताओ किसी की मगर
है ये बेहतर कि ढंग से इशारा करो
हर तरफ बिखरी पसरी हैं रंगीनियाँ
तुम भटकता हुआ दिल संभाला करो
सबकी जेबें ही कब तक टटोलोगे तुम
खुद की पाकेट में भी हाथ डाला करो
चाहते हो अगर तुम खुशी दोस्तो
अपने बच्चे से भी खेल हारा करो
14 टिप्पणियाँ:
दिल में गुस्सा भड़कने लगे जिस घड़ी
हर गलत फैसला कल पे टाला करो
गलतियाँ तुम बताओ किसी की मगर
है ये बेहतर कि ढंग से इशारा करो..
बहुत सुन्दर गज़ल ... सलाह मान ली जाए तो गुस्सा स्वयं ही उतर जायेगा ....
चाहते हो अगर तुम खुशी दोस्तो
अपने बच्चे से भी खेल हारा करो
बहुत ही सुंदर गजल जी, यह ऊपर वाला शेर इस लिये ज्यादा पसंद आया कि मै अकसर बच्चो से जान बुझ कर हार जाता हूं
धन्यवाद
बेहतरीन सन्देश देती हुई गज़ल ..बहुत सुन्दर.
दिल में गुस्सा भड़कने लगे जिस घड़ी
हर गलत फैसला कल पे टाला करो
सन्देश देती हुई गज़ल ..बहुत सुन्दर.
बहुत सुन्दर गज़ल
दिल में गुस्सा भड़कने लगे जिस घड़ी
हर गलत फैसला कल पे टाला करो
बहुत खूब बात कही ..... सुंदर ग़ज़ल
अपने घर को ही रौशन किया मत करो
हैं जहाँ भी अन्धेरे उजाला करो
तुम ही दुनिया में सबसे बड़े आदमी
इस तरह के भरम तो न पाला करो
चाहते हो अगर तुम खुशी दोस्तो
अपने बच्चे से भी खेल हारा करो
बहुत ख़ूब !
संदेश और नसीहत देती हुई ख़ूबसूरत ग़ज़ल
बहुत ही सुंदर गजल| धन्यवाद|
प्रणाम,
सबकी जेबें ही कब तक टटोलोगे तुम
खुद की पाकेट में भी हाथ डाला करो
चाहते हो अगर तुम खुशी दोस्तो
अपने बच्चे से भी खेल हारा करो
इन पंक्तियों ने बेहद प्रभावित किया...
गौरव शर्मा "भारतीय"
दूसरों पर कीचड उछलने से पहले खुद का चेहरा भी निहारा करो ...
कभी किसी बच्चे से भी हारा करो ...इस हार की जीत भी अनोखी होती है ...
सार्थक सन्देश देती ग़ज़ल ..
आभार !
भैया प्रणाम,
उम्दा ग़ज़ल पढ़ कर आनंद आ गया... साथ ही याद आ गयी काफी पहली लिखी अपनी ग़ज़ल, मतला है...
"दूसरों पर कीचड उछाला करते हैं
अपना ही मुह वो काला करते हैं."
सादर प्रणाम.
आदरणीय गिरीश पंकज जी
सादर अभिवादन !
बहुत सुंदर रचना के लिए आभार और बधाई !
ये शे'र तो कमाल हैं -
तुम ही दुनिया में सबसे बड़े आदमी
इस तरह के भरम तो न पाला करो
दिल में गुस्सा भड़कने लगे जिस घड़ी
हर गलत फैसला कल पे टाला करो
चाहते हो अगर तुम खुशी दोस्तो
अपने बच्चे से भी खेल हारा करो
बहुत ख़ूब ! वाह वाह !
~*~ हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
दूसरों पे न कीचड उछाला करो,
खुद के चेहरे को भी तुम निहारा करो।
अपने घर को ही रौशन किया मत करो,
हैं जहाँ भी अन्धेरे उजाला करो ।
ग़ज़ल का प्रत्येक शे‘र एक जीवन-सूत्र है।
बहुत सुंदर संदेश।...शुभकामनाएं।
गलतियाँ तुम बताओ किसी की मगर
है ये बेहतर कि ढंग से इशारा करो
बहुत बढ़िया बातें लिखी हैं -
सीख देती हुई सुंदर रचना -
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