गीत / माँ शारदे तुझको नमन.....
>> Tuesday, February 8, 2011
अर्पित है भावों के सुमन...
ज्ञान का आलोक तुझसे,
बुद्धि का उत्थान है.
जो शरण में तेरी आया,
पा गया कल्याण है.
पाप हरती तू जगत के,
जब पड़े मंगल-चरन ...
साधना ही लक्ष्य अपना,
बस यही वरदान दे.
हर घड़ी आशीष तेरा,
ज्ञान दे, विज्ञान दे.
जड़मती को भी मिले तव,
बुद्धि का नूतन वसन..
ज्ञान अर्जन के लिये माँ,
मन सदा निर्मल रहे.
हर मनुज में ज्ञानसरिता
हर घड़ी कल-कल रहे.
तेरी वीणा बज उठे तो,
हो तरंगित हर सुजन...
ज्ञान का अभिमान न हो,
साधना का दान दे.
माँ, जगा दे प्रीत मन में,
विश्व का कल्यान दे.
लोकमंगल हो अहर्निश,
शुद्ध हो हर इक भुवन..
ज्ञान का आलोक तुझसे,
बुद्धि का उत्थान है.
जो शरण में तेरी आया,
पा गया कल्याण है.
पाप हरती तू जगत के,
जब पड़े मंगल-चरन ...
साधना ही लक्ष्य अपना,
बस यही वरदान दे.
हर घड़ी आशीष तेरा,
ज्ञान दे, विज्ञान दे.
जड़मती को भी मिले तव,
बुद्धि का नूतन वसन..
ज्ञान अर्जन के लिये माँ,
मन सदा निर्मल रहे.
हर मनुज में ज्ञानसरिता
हर घड़ी कल-कल रहे.
तेरी वीणा बज उठे तो,
हो तरंगित हर सुजन...
ज्ञान का अभिमान न हो,
साधना का दान दे.
माँ, जगा दे प्रीत मन में,
विश्व का कल्यान दे.
लोकमंगल हो अहर्निश,
शुद्ध हो हर इक भुवन..
14 टिप्पणियाँ:
आ० पंकज जी बहुत अच्छा लगी माँ शारदा की यह स्तुति. शेष आपकी कविता पे टिप्पणी करना तो मेरे बस की बात नहीं है.
वसंत ऋतु के आगमन पर ढेर सारी शुभ कामनाएं.
बहुत ही सुन्दर स्तुति.
ढेरों बसंतई सलाम.
सुंदर स्तुति माँ शारदे की ...... बसंतोत्सव की शुभकामनाये
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
सुंदर सरस्वती वंदना है।
स्कूल में उदय गाएगा इसे।
आदरणीय गिरीश पंकज जी
बहुत सुंदर सरस्वती वंदना है .....आनंद दायक ...आपका आभार
बढ़िया रचना प्रस्तुति...आभार
बहुत ही सुन्दर सरस्वती वन्दना...
प्रणाम,
सुन्दर वंदना के लिए आभार एवं बसंत पंचमी की बधाई स्वीकार करें !!
शारदे तुमको नमन,
माँ शारदे तुझको नमन....
बहुत सुन्दर कविता लिखी है आपने आपकी लेखनी को नमन.
आपकी यह रचना पढ़कर वो वंदना याद आ गयी...
वर दे वर्दे
वीणा वादिनी वर दे...
बहुत सुन्दर वंदना...
प्रणाम,
सुन्दर वंदना के लिए आभार एवं बसंत पंचमी की बधाई स्वीकार करें !!
आदरणीय गिरीश पंकज जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
बहुत सुंदर वंदना है -
ज्ञान का अभिमान न हो,
साधना का दान दे.
माँ, जगा दे प्रीत मन में,
विश्व का कल्याण दे
'सर्वे भवंतु सुखिना' के विराट लक्ष्य को ले'कर की गई वंदना से मां सरस्वती अवश्य प्रसन्न होगी…
वंदना में मेरा भी स्वर प्रस्तुत है -
जय वागीशा हंसवाहिनी ,महाश्वेता ब्रह्मचारिणी !
नमो शारदे प्रज्ञा शुक्ला वीणा - वाङ्मय - धारिणी !!
बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
ज्ञान का अभिमान न हो,
साधना का दान दे.
माँ, जगा दे प्रीत मन में,
विश्व का कल्याण दे
बढ़िया स्तुति
प्रणाम
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