'वेलेंटाइन डे' की पूर्व-संध्या पर गीत / मिलन का पल आया है...
>> Sunday, February 13, 2011
वसंतोत्सव जारी है. न चाहते हुए भी मेरा मन बैरागी भी प्रेम-राग गाने पर विवश हो रहा है. उस पर ये मुआँ ''वेलेंटाइन डे'' ....? ये भी आ टपका. मन कैसे प्रियजन को याद न करे. (अब कोई प्रिय हो न हो, कल्पना करने में क्या बुराई है) मन में कुछ-कुछ ..... उमड़ रहा है. यह बहुतों के दिल की बात भी हो सकती है. ऐसा कौन अभागा होगा जिसके मन में प्रेम राग न गूंजता हो. ज़रूर गूँजता होगा या कभी गूँजा होगा. ऐसे लोगों के मन को फिर से प्रेमरस में डुबोने की कोशिश अगर मेरा यह गीत कर सके तो ठीक है. वरना कोई बात नहीं. चलिए, प्रेम-दिवस की बधाई तो ले ही लीजिये.....
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आज प्यार की रात चन्द्रमा,
जल्दी मत जाना.
और सितारों तुम भी देखो,
थोड़ा छिप जाना....
मिलन का पल आया है...
---
युग बीते हैं तब जा कर यह, मंगल-पल आया
रोम-रोम पुलकित है प्रिय ने, ऐसा कुछ गाया.
ओ समीर निःशब्द सुनो तुम, प्रियवर का गाना...
आज प्यार की रात चन्द्रमा,जल्दी मत जाना...
मिलन का पल आया है...
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कभी-कभी आती है बेला, पंकज-मन खिलता.
वरना इस रफ़्तार-सदी में, समय कहाँ मिलता.
साध हमारी रही अहर्निश, बस उनको पाना..
आज प्यार की रात चन्द्रमा,जल्दी मत जाना...
मिलन का पल आया है...
---
वासंती यह निशा सुवासित, सम्मोहित परिवेश.
मौन है वीणा अंतर्मन की,गुंजित राग विशेष.
काल अभी तुम रुक जाओ बस, प्रातकाल आना...
आज प्यार की रात चन्द्रमा, जल्दी मत जाना..
मिलन का पल आया है...
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आज प्यार की रात चन्द्रमा,
जल्दी मत जाना.
और सितारों तुम भी देखो,
थोड़ा छिप जाना....
मिलन का पल आया है...
जल्दी मत जाना.
और सितारों तुम भी देखो,
थोड़ा छिप जाना....
मिलन का पल आया है...
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युग बीते हैं तब जा कर यह, मंगल-पल आया
रोम-रोम पुलकित है प्रिय ने, ऐसा कुछ गाया.
ओ समीर निःशब्द सुनो तुम, प्रियवर का गाना...
आज प्यार की रात चन्द्रमा,जल्दी मत जाना...
मिलन का पल आया है...
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कभी-कभी आती है बेला, पंकज-मन खिलता.
वरना इस रफ़्तार-सदी में, समय कहाँ मिलता.
साध हमारी रही अहर्निश, बस उनको पाना..
आज प्यार की रात चन्द्रमा,जल्दी मत जाना...
मिलन का पल आया है...
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वासंती यह निशा सुवासित, सम्मोहित परिवेश.
मौन है वीणा अंतर्मन की,गुंजित राग विशेष.
काल अभी तुम रुक जाओ बस, प्रातकाल आना...
आज प्यार की रात चन्द्रमा, जल्दी मत जाना..
मिलन का पल आया है...
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आज प्यार की रात चन्द्रमा,
जल्दी मत जाना.
और सितारों तुम भी देखो,
थोड़ा छिप जाना....
मिलन का पल आया है...
15 टिप्पणियाँ:
@कल्पना करने में क्या बुराई है?
हे बेलनटाईन देव! कवि की कल्पना हकीकत में न बदले,पर प्रेम रस में पगी पंक्तियाँ नित झरती रहें।
इस अवसर पर यही कामना एवं प्रार्थना करते हैं।:)
सुंदर गीत
आभार
जब आप बिना प्रिय के ही इतना सुन्दर प्रेम गीत लिख सकते हैं तो प्रिय होने पर क्या गज़ब ढाते ,कल्पना ही कर सकते हैं.
बहुत ही बढ़िया रचना.
सलाम
एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...
बहुत सुन्दर प्रेमगीत..शब्दों, भावों और गेयता का अद्भुत संगम..
Bahut sunder geet hain...
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
प्रणाम,
गीत पढ़कर मजा आ गया, मुझ अकिंचन की ओए से बधाई स्वीकार करें...
Pyaari si rachna.. badhaaii !!
प्रेमराग में रचा-पगा यह गीत बहुत सुंदर है।
लेकिन मैं समझता हूं, हमें पाश्चात्य त्यौहारों को महत्व नहीं देना चाहिए।
waah bahut bheena bheena sa premgeet..
धन्यवाद इस सुंदर गीत के लिये
पहली बार आपका लिखा कोई गीत मुझे पसंद नही आया जिसकी ठोस वजह भी है ,अगर आज के दिन को इतिहास के गर्त मे झाककर देखेँ तो सायद उत्तर मिल जाए ।
READ ONE MORE POST..........
घटिया पोस्ट पर टिप्पणी देने वालो सम्भल जाओ
http://etips-blog.blogspot.com/2011/02/blog-post_14.html
पहली बार आपका लिखा कोई गीत मुझे पसंद नही आया जिसकी ठोस वजह भी है ,अगर आज के दिन को इतिहास के गर्त मे झाककर देखेँ तो सायद उत्तर मिल जाए ।
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घटिया पोस्ट पर टिप्पणी देने वालो सम्भल जाओ
http://etips-blog.blogspot.com/2011/02/blog-post_14.html
एक शानदार रचना पर बधाई स्वीकारें...
"प्रेम की गंगा बहे दुःख, द्वेष मन में ना रहे
यह प्रार्थना हो कोई भी बिनु प्रीत जग में ना रहे"
इस दुआ के साथ सादर प्रणाम.
पंकज जी
आप को मेरी इन पंक्तियों के साथ प्रणाम .
''रैना ठुमक ठुमक चली पिया भोर से अपने मिले को , ए ! सितारों लौट आओ अब रैना को इण बाहों में सोने दो !''
आप कि अभिव्यक्ति भी लाजवाब है ,
साधुवाद !
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