नई ग़ज़ल/ आज दिखता है जो बौना कल बड़ा हो जाएगा
>> Friday, February 18, 2011
चार दिन बाद दिल्ली से लौटा तो लगा, अपना ब्लॉगरूपी बाग़ सूना-सूना-सा है. कुछ नए विचार-सुमन फिर महकने चाहिए. और उसकी तैयारी विमान में ही हो गई थी. डेढ़ घंटे की उड़ान में क्या किया जाये.फ़िल्मी पत्रिका पढ़ने से बेहतर है कुछ सार्थक साहित्य पढ़ा जाये. बस, पढ़ने लगा गोपीचंद नारंग जी की नई पुस्तक उत्तरसंरचनावाद पर. उर्दू काव्यपरम्परा पर गंभीर पुस्तक है यह.इसे पढ़ते-पढ़ते अचानक दिमाग में हलचल-सी होने लगी और दिल ने कहा कुछ शेर बहार निकालने के लिए मचल रहे है, सो, हम शुरू हो गए. वही कुछ शेर आपकी सेवा में पेश है. देखे और स्नेह दें----
क्या खबर है ज़िंदगी में कल को क्या हो जायेगा
जिनसे है नफ़रत उन्हीं से प्यार-सा हो जायेगा
प्यार से मिलते रहो सबके यहाँ अपने शिखर
जो लगे छोटा वही कब काम का हो जाएगा
ये जो कुरसी है इसी ने गुल खिलाये हैं कई
आज दिखता है जो बौना कल बड़ा हो जाएगा
वह बहुत इतरा रहा है पद भी है पैसा भी है
बेखबर इस बात से वो कल फना हो जाएगा
पाप करने में मज़ा है हर कोई यह जानता
है किसे इसका पता सबको पता हो जाएगा
क्या करेंगे रख के इतना धन ज़रा मन खोलिए
आपकी दरियादिली से कुछ भला हो जाएगा
कौन-सा है रंज दिल में, गाँठ कैसी है बंधी
मुसकरा दे ज़िंदगी का हक़ अदा हो जाएगा
देखकर के ओहदे को क्यों झुके जाते हैं सब
कल हटेगा तयशुदा है गुमशुदा हो जायेगा
एक जो चेहरा है बाहर वो भी गर भीतर रहे
आदमी पल भर में पंकज देवता हो जाएगा
22 टिप्पणियाँ:
कौन-सा है रंज दिल में, गाँठ कैसी है बंधी
मुसकरा दे ज़िंदगी का हक़ अदा हो जाए
सही सन्देश देती ग़ज़ल
क्या खबर है ज़िंदगी में कल को क्या हो जायेगा
जिनसे है नफ़रत उन्हीं से प्यार-सा हो जायेगा
प्यार से मिलते रहो सबके यहाँ अपने शिखर
जो लगे छोटा वही कब काम का हो जाएगा
वाह बेहतरीन पंक्ति है...वाकई कौन जाने किस घडी वक्त का बदले मिजाज़...!!
girish bhaai bhtrin gzl ke liyen shukriya. akhtar khan akela kota rajsthan
ये जो कुरसी है इसी ने गुल खिलाये हैं कई
आज दिखता है जो बौना कल बड़ा हो जाएगा
बिल्कुल सही बात ..अच्छी गज़ल ..अच्छा सन्देश देती हुई
ये जो कुरसी है इसी ने गुल खिलाये हैं कई
आज दिखता है जो बौना कल बड़ा हो जाएगा
बेहतरीन सन्देश देती प्राभावशाली गज़ल...
बहूत उम्दा रचना है पंकज जी बहूत, बहूत और बहूत खूब
एक जो चेहरा है बाहर वो भी गर भीतर रहे
आदमी पल भर में पंकज देवता हो जाएगा
वाह जनाब वाह बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
बहुत अर्थपूर्ण गज़ल है गिरीश जी, मजा आ गया।
एक जो चेहरा है बाहर वो भी गर भीतर रहे
आदमी पल भर में पंकज देवता हो जाएगा
-सच में..काश!! ऐसा हो जाये!!
बहुत उम्दा शेर निकले हैं.
एक जो चेहरा है बाहर वो भी गर भीतर रहे
आदमी पल भर में पंकज देवता हो जाएगा
पाखंड पर प्रहार करता यह शेर अच्छा लगा।
यथार्थ को स्वर देती इस ग़ज़ल के लिए बधाई।
कौन-सा है रंज दिल में, गाँठ कैसी है बंधी
मुसकरा दे ज़िंदगी का हक़ अदा हो जाएगा
वाह...बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने...ऐसी हवाई यात्रा जो एक ग़ज़ल देदे काश मैं भी कर पाऊं...
नीरज
ये जो कुरसी है इसी ने गुल खिलाये हैं कई
आज दिखता है जो बौना कल बड़ा हो जाएगा
सही बात ,अच्छी गज़ल .अच्छा सन्देश देती !
उम्दा गजल
उम्दा गजल
वह बहुत इतरा रहा है पद भी है पैसा भी है
बेखबर इस बात से वो कल फना हो जाएगा
पाप करने में मज़ा है हर कोई यह जानता
है किसे इसका पता सबको पता हो जाएगा
dil ko chu lene wali ghazal hai sir ji
"कौन-सा है रंज दिल में, गाँठ कैसी है बंधी
मुसकरा दे ज़िंदगी का हक़ अदा हो जाएगा"
भैया, हर शेर सकारात्मक शिक्षा प्रदान करता है...
आपका लेखन प्रेरणास्त्रोत बना रहे....
प्रणाम. सादर...
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22- 02- 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
priya pankaj ji,
namskar ,
aapke kavya shilp ne man ko chhu liya ,padha aisa laga , jaise rachana ke ham sath ho liye . badhayiyan .
वह बहुत इतरा रहा है पद भी है पैसा भी है
बेखबर इस बात से वो कल फना हो जाएगा
सही सन्देश देता हुआ बहुत प्यारा शेर है.ग़ज़ल मत्ले से मक्ते तक अच्छी लगी.
क्या खबर है ज़िंदगी में कल को क्या हो जायेगा
जिनसे है नफ़रत उन्हीं से प्यार-सा हो जायेगा
बहुत सुन्दर भाव्…………सुन्दर संदेशपरक गज़ल बहुत सुन्दर है।
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल.
कौन-सा है रंज दिल में, गाँठ कैसी है बंधी
मुसकरा दे ज़िंदगी का हक़ अदा हो जाएगा
क्या बात है,पंकज साहिब.
सलाम.
बहुत बढ़िया गज़ल है गिरीश भाई । एक नया रंग दिखाई दे रहा है ।
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