''सद्भावना दर्पण'

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नई ग़ज़ल / है यही पगले जवानी.....

>> Friday, February 25, 2011

जब कभी मचले जवानी 
दृश्य को बदले जवानी

लड़खड़ाते हैं सभी पर
जो यहाँ संभले जवानी

आ रहा पीछे बुढ़ापा
आज तू हँस ले जवानी

मानती है बात किसकी
है यही पगले जवानी

है किधर जाना कहो तो
कुछ पड़े पल्ले जवानी

टूट जाये स्वप्न सारे
ऐसे न उछले जवानी

गर न हों संकल्प ऊँचे
हर कदम फिसले जवानी

आग का दरिया रहेगा
फिर अगर निकले जवानी

पेड़ बोता है बुढ़ापा
और फल चख ले जवानी

चल पडी तो चल पडी बस
कब कहाँ दम ले जवानी

इक नया इतिहास गढ़ने
दुःख सभी सह ले जवानी

13 टिप्पणियाँ:

गौरव शर्मा "भारतीय" February 25, 2011 at 7:02 AM  

चल पडी तो चल पडी बस
कब कहाँ दम ले जवानी

इक नया इतिहास गढ़ने
दुःख सभी सह ले जवानी


वाह बेहतरीन पंक्ति..और पूरा ग़ज़ल भी लाजवाब है !!

विशाल February 25, 2011 at 7:10 AM  

आ रहा पीछे बुढ़ापा
आज तू हँस ले जवानी

सरल बयानी में बढ़िया ग़ज़ल .
सलाम

Dr Varsha Singh February 25, 2011 at 9:50 AM  

बहुत अच्छी ग़ज़ल है। सुंदर रचना के लिए साधुवाद!

वाणी गीत February 25, 2011 at 4:41 PM  

आ रहा पीछे बुढ़ापा
आज तू हंस ले जवानी !

समय रहते कहाँ सोचते हैं लोग !
सुन्दर रचना !

संगीता स्वरुप ( गीत ) February 26, 2011 at 3:16 AM  

जवानी में बुढ़ापा कौन याद रखता है ....बाद में सोचते हैं ..

Deepak Saini February 26, 2011 at 4:14 AM  

बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद

shikha varshney February 26, 2011 at 6:29 AM  

आ रहा पीछे बुढ़ापा
आज तू हँस ले जवानी
वाह क्या बता कही है ..बहुत खूब.

महेन्‍द्र वर्मा February 26, 2011 at 10:32 PM  

गर न हों संकल्प ऊँचे
हर कदम फिसले जवानी

आग का दरिया रहेगा
फिर अगर निकले जवानी

जवानी को अलग-अलग कोणों से निहारती अच्छी ग़ज़ल।
हर शेर एक संदेश का वाहक भी बन गया है।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') February 27, 2011 at 12:59 AM  

वाह भैया... बड़ी अनोखी ग़ज़ल है...
"इक नया इतिहास गढ़ने
दुःख सभी सह ले जवानी"
सचमुच...
सादर....

Dr (Miss) Sharad Singh February 27, 2011 at 2:50 AM  

चल पडी तो चल पडी बस
कब कहाँ दम ले जवानी
इक नया इतिहास गढ़ने
दुःख सभी सह ले जवानी.....

बहुत सुन्दर शेर...बहुत सुन्दर ग़ज़ल...

http://anusamvedna.blogspot.com February 27, 2011 at 4:16 AM  

खूबसूरत गज़ल ....

Rahul Singh February 27, 2011 at 5:42 AM  

जिन्‍दादिल जवानी.

दिलबागसिंह विर्क March 2, 2011 at 4:43 AM  

sunder gazal

nai gazal shirshk hai ya gazal se alg koi nai vidha samjh nhin aaya
vaise niymon se yah gazal hi lgi

----- sahityasurbhi.blogspot.com

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