नई ग़ज़ल / है यही पगले जवानी.....
>> Friday, February 25, 2011
जब कभी मचले जवानी
दृश्य को बदले जवानी
लड़खड़ाते हैं सभी पर
जो यहाँ संभले जवानी
आ रहा पीछे बुढ़ापा
आज तू हँस ले जवानी
मानती है बात किसकी
है यही पगले जवानी
है किधर जाना कहो तो
कुछ पड़े पल्ले जवानी
टूट जाये स्वप्न सारे
ऐसे न उछले जवानी
गर न हों संकल्प ऊँचे
हर कदम फिसले जवानी
आग का दरिया रहेगा
फिर अगर निकले जवानी
पेड़ बोता है बुढ़ापा
और फल चख ले जवानी
चल पडी तो चल पडी बस
कब कहाँ दम ले जवानी
इक नया इतिहास गढ़ने
दुःख सभी सह ले जवानी
13 टिप्पणियाँ:
चल पडी तो चल पडी बस
कब कहाँ दम ले जवानी
इक नया इतिहास गढ़ने
दुःख सभी सह ले जवानी
वाह बेहतरीन पंक्ति..और पूरा ग़ज़ल भी लाजवाब है !!
आ रहा पीछे बुढ़ापा
आज तू हँस ले जवानी
सरल बयानी में बढ़िया ग़ज़ल .
सलाम
बहुत अच्छी ग़ज़ल है। सुंदर रचना के लिए साधुवाद!
आ रहा पीछे बुढ़ापा
आज तू हंस ले जवानी !
समय रहते कहाँ सोचते हैं लोग !
सुन्दर रचना !
जवानी में बुढ़ापा कौन याद रखता है ....बाद में सोचते हैं ..
बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
आ रहा पीछे बुढ़ापा
आज तू हँस ले जवानी
वाह क्या बता कही है ..बहुत खूब.
गर न हों संकल्प ऊँचे
हर कदम फिसले जवानी
आग का दरिया रहेगा
फिर अगर निकले जवानी
जवानी को अलग-अलग कोणों से निहारती अच्छी ग़ज़ल।
हर शेर एक संदेश का वाहक भी बन गया है।
वाह भैया... बड़ी अनोखी ग़ज़ल है...
"इक नया इतिहास गढ़ने
दुःख सभी सह ले जवानी"
सचमुच...
सादर....
चल पडी तो चल पडी बस
कब कहाँ दम ले जवानी
इक नया इतिहास गढ़ने
दुःख सभी सह ले जवानी.....
बहुत सुन्दर शेर...बहुत सुन्दर ग़ज़ल...
खूबसूरत गज़ल ....
जिन्दादिल जवानी.
sunder gazal
nai gazal shirshk hai ya gazal se alg koi nai vidha samjh nhin aaya
vaise niymon se yah gazal hi lgi
----- sahityasurbhi.blogspot.com
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