Friday, August 26, 2011

नई ग़ज़ल / मेरे हरेक दर्द ने उनको मज़ा दिया.......?

ब्लॉग लेखन को लेकर पहले जो उत्साह था, अब कम हुआ है.समय के साथ जड़ता-सी आ जाती है.ठहराव-सा आने लगता है. इसे आप उदासीनता भी कह सकते है. ध्यान अन्य सर्जनात्मक विधाओं पर भी लगा था, इसलिए कोइ रचना इधर दे नहीं पाया, एक पखवाड़े के बाद एक ग़ज़ल ले कर हाजिर हूँ. देखें, पसंद आये, तो लगे कि सृजन सफल हुआ.
हर दौर ने सबको यहाँ ये ही सिला दिया
सच बोलता था जो उसे फ़ौरन मिटा दिया

हम रो रहे थे पर उन्हें ये मसखरी लगी
मेरे हरेक दर्द ने उनको मज़ा दिया

भूखा बड़ा था लाल तो माँ ने गज़ब किया
रोटी की सुनाकर कथा उसको सुला दिया

पूजा से बढ़ के काम वो करता रहा सदा
जो गिर गया था राह में उसको उठा दिया

जो हो गए चमचे उन्हें सब कुछ मिला मगर
खुद्दार को तो रास्ते से ही हटा दिया

'मै हूँ ईमानदार' ये नेता ने जब कहा
उसकी जरा-सी बात ने हमको हँसा दिया

झुकने का तो सवाल नहीं मार दो हमें
पंकज ने शातिरों को खुलक्रर बता दिया

11 comments:

  1. भूखा बड़ा था लाल तो माँ ने गज़ब किया
    रोटी की सुनाकर कथा उसको सुला दिया

    वाह भईया...
    एक एक शेर मानों चुने हुए मोती हैं...
    बहुत सुन्दर और सार्थक ग़ज़ल...
    सादर प्रणाम..

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  2. हम रो रहे थे पर उन्हें ये मसखरी लगी
    मेरे हरेक दर्द ने उनको मज़ा दिया

    संवेदनशील पंक्तियाँ



    'मै हूँ ईमानदार' ये नेता ने जब कहा
    उसकी जरा-सी बात ने हमको हँसा दिया
    अच्छा व्यंग है

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  3. "'मै हूँ ईमानदार' ये नेता ने जब कहा
    उसकी जरा-सी बात ने हमको हँसा दिया"
    बहुत खूब !

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  4. बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल है गिरीश भाई जी !

    एक एक शे'र कमाल का है …

    पूरी ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद !

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  5. हम रो रहे थे पर उन्हें ये मसखरी लगी
    मेरे हरेक दर्द ने उनको मज़ा दिया
    बहुत खूब गिरीश जी.

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  6. हम रो रहे थे पर उन्हें ये मसखरी लगी
    मेरे हरेक दर्द ने उनको मज़ा दिया


    हम रो रहे थे पर उन्हें ये मसखरी लगी
    मेरे हरेक दर्द ने उनको मज़ा दिया

    बहुत खूब गिरीश जी

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  7. अच्छे शेर कहे हैं.बधाई.

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  8. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा

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  10. हर दौर ने सबको यहाँ ये ही सिला दिया

    सच बोलता था जो उसे फ़ौरन मिटा दिया




    हम रो रहे थे पर उन्हें ये मसखरी लगी

    मेरे हरेक दर्द ने उनको मज़ा दिया

    bhavmayi..dil ko choo lene wali shandar ghazal..aapse mulakat ka ye pahla mauka hai..charcha manch ko dhanyawad aaur apne blog per sadar amantran ke sath

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  11. अच्छे शेर कहे हैं.बधाई.

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