''सद्भावना दर्पण'

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नई ग़ज़ल/ सचमुच कितना पगला है वो.......

>> Thursday, December 29, 2011

'सुख खोजूंगा' निकला है वो
कितना तन्हा-तन्हा है वो
उसकी गलती माफ़ भी कर दो
जैसा भी है अपना है वो
मंजिल वो इक दिन पायेगा
गिरता मगर संभलता है वो
मंजिल आखिर पाई उसने
लेकिन कितना भटका है वो
कब होगा साकार न जाने
वैसे भोर का सपना है वो
मुस्काने में क्या कोताही?
जाने कैसा-कैसा है वो
थोड़ी तो मस्ती करने दो
अरे अभी तो बच्चा है वो
पागल पर हंसती है दुनिया
जबकि उस पर हंसता है वो
सुख पाने को निकला है वो
सचमुच कितना पगला है वो
दुःख ने उसको तोड़ दिया है
रोता है या हँसता है वो
इक दिन बदलेगी ये दुनिया
दुःख पा कर भी कहता है वो
प्यार कहाँ मिलता है अब तो
जाने कब से प्यासा है वो
निभ जाये जीवन में सबसे
इसीलिए बस झुकता है वो
बार-बार वो नष्ट हुआ है
फिर भी राख से उठता है वो
कविता उसको गले लगा ले
कभी दुखी जब मिलता है वो
दुःख देने वाले है थोड़े
सुख बहुतों से पाता है वो
रोक रहे सब राहें उसकी
फिर भी देखो चलता है वो
भीतर-भीतर आंसू पी कर
पंकज बाहर हंसता है वो

19 टिप्पणियाँ:

Sunil Kumar December 29, 2011 at 5:40 AM  

बहुत खुबसूरत ग़ज़ल शेर दाद को मुहताज नहीं फिर भी दिल से निकला वाह वाह ..

shikha varshney December 29, 2011 at 6:26 AM  

हर शेर पर वाह वाह ही निकली.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') December 29, 2011 at 6:50 AM  

शानदार ग़ज़ल है भईया....
सादर प्रनाम.

अजय कुमार झा December 29, 2011 at 7:30 AM  

हमेशा की तरह कलेजा चाक ।


बहुत बहुत शुभकामनाएं नए वर्ष के आगमन पर आपको गिरीश भाई

Anupama Tripathi December 29, 2011 at 7:32 AM  

भीतर-भीतर आंसू पी कर
पंकज बाहर हंसता है वो

bahut sunder gahan shayari ....
badhai .

संगीता पुरी December 29, 2011 at 8:11 AM  

वाह ..
बहुत सुंदर अभिव्‍यक्ति !!

ASHOK BAJAJ December 29, 2011 at 8:23 AM  

बहुत सुंदर !

Smart Indian December 29, 2011 at 9:54 PM  

बहुत खूब गिरीश जी!

vandana gupta December 29, 2011 at 9:59 PM  

भीतर-भीतर आंसू पी कर
पंकज बाहर हंसता है वो
यथार्थ का चित्रण करती शानदार रचना।

arbind ankur December 30, 2011 at 2:30 AM  

bahut sundar, naya varsh shubh ho

avanti singh December 30, 2011 at 3:32 AM  

क्या कहूँ पंकज जी ,निशब्द कर दिया आप ने ,बस इतना ही कहूँगी ,कई दिनों बाद कुछ ऐसा पढ़ा है जो दिल में उतर गया ,बधाई स्वीकारें .....

विभूति" December 30, 2011 at 6:48 AM  

दिल को छू हर एक पंक्ति....नववर्ष की शुभकामनायें

tips hindi me December 30, 2011 at 8:27 PM  

"टिप्स हिंदी" में ब्लॉग की तरफ से आपको नए साल के आगमन पर शुभ कामनाएं |

टिप्स हिंदी में

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ December 31, 2011 at 3:36 AM  

बहुत सुन्दर वाह! गुरुपर्व और नववर्ष की मंगल कामना

सागर December 31, 2011 at 9:01 AM  

बेहतरीन अभिवयक्ति.....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.....

सूर्यकान्त गुप्ता December 31, 2011 at 10:17 AM  

आदरणीय को सर्वप्रथम नमस्कार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें। दिल को छू जाने वाली रचना ॥

ASHOK BAJAJ December 31, 2011 at 6:46 PM  

नव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

rajbhasha Chhattisgarhi January 4, 2012 at 5:55 AM  

sabhi mitro ko nav varsh ki hardik shubhkamnaye. apna pyar-sneh banaye rakhen...

S.N SHUKLA January 5, 2012 at 10:11 PM  

सुन्दर रचना , सुन्दर भाव, बधाई.

पधारें मेरे ब्लॉग meri kavitayen पर भी, मुझे आपके स्नेहाशीष की प्रतीक्षा है.

सुनिए गिरीश पंकज को

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