'सुख खोजूंगा' निकला है वो
कितना तन्हा-तन्हा है वो
उसकी गलती माफ़ भी कर दो
जैसा भी है अपना है वो
मंजिल वो इक दिन पायेगा
गिरता मगर संभलता है वो
मंजिल आखिर पाई उसने
लेकिन कितना भटका है वो
कब होगा साकार न जाने
वैसे भोर का सपना है वो
मुस्काने में क्या कोताही?
जाने कैसा-कैसा है वो
थोड़ी तो मस्ती करने दो
अरे अभी तो बच्चा है वो
पागल पर हंसती है दुनिया
जबकि उस पर हंसता है वो
सुख पाने को निकला है वो
सचमुच कितना पगला है वो
दुःख ने उसको तोड़ दिया है
रोता है या हँसता है वो
इक दिन बदलेगी ये दुनिया
दुःख पा कर भी कहता है वो
प्यार कहाँ मिलता है अब तो
जाने कब से प्यासा है वो
निभ जाये जीवन में सबसे
इसीलिए बस झुकता है वो
बार-बार वो नष्ट हुआ है
फिर भी राख से उठता है वो
कविता उसको गले लगा ले
कभी दुखी जब मिलता है वो
दुःख देने वाले है थोड़े
सुख बहुतों से पाता है वो
रोक रहे सब राहें उसकी
फिर भी देखो चलता है वो
भीतर-भीतर आंसू पी कर
पंकज बाहर हंसता है वो
19 टिप्पणियाँ:
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल शेर दाद को मुहताज नहीं फिर भी दिल से निकला वाह वाह ..
हर शेर पर वाह वाह ही निकली.
शानदार ग़ज़ल है भईया....
सादर प्रनाम.
हमेशा की तरह कलेजा चाक ।
बहुत बहुत शुभकामनाएं नए वर्ष के आगमन पर आपको गिरीश भाई
भीतर-भीतर आंसू पी कर
पंकज बाहर हंसता है वो
bahut sunder gahan shayari ....
badhai .
वाह ..
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
बहुत सुंदर !
बहुत खूब गिरीश जी!
भीतर-भीतर आंसू पी कर
पंकज बाहर हंसता है वो
यथार्थ का चित्रण करती शानदार रचना।
bahut sundar, naya varsh shubh ho
क्या कहूँ पंकज जी ,निशब्द कर दिया आप ने ,बस इतना ही कहूँगी ,कई दिनों बाद कुछ ऐसा पढ़ा है जो दिल में उतर गया ,बधाई स्वीकारें .....
दिल को छू हर एक पंक्ति....नववर्ष की शुभकामनायें
"टिप्स हिंदी" में ब्लॉग की तरफ से आपको नए साल के आगमन पर शुभ कामनाएं |
टिप्स हिंदी में
बहुत सुन्दर वाह! गुरुपर्व और नववर्ष की मंगल कामना
बेहतरीन अभिवयक्ति.....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.....
आदरणीय को सर्वप्रथम नमस्कार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें। दिल को छू जाने वाली रचना ॥
नव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
sabhi mitro ko nav varsh ki hardik shubhkamnaye. apna pyar-sneh banaye rakhen...
सुन्दर रचना , सुन्दर भाव, बधाई.
पधारें मेरे ब्लॉग meri kavitayen पर भी, मुझे आपके स्नेहाशीष की प्रतीक्षा है.
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