Friday, August 10, 2012

चले आओ कन्हैया, देश की नैया बचाना है......

भगवान् कृष्ण की आराधना कुछ इस अंदाज़ में...
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चले आओ कन्हैया, देश की नैया बचाना है.
यहाँ हर सिम्त हैं अब कंस, उनको ही मिटाना है.
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दही तुम लूटते थे, देश को अब लूटते दानव.
ये हैं इतने निरंकुश, हो गया बेबस यहाँ मानव.
तुम्हीं आ जाओ दो ताकत, इन्हें अब तो हटाना है.
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बजाओ फिर से वो बंसी, सभी की आत्मा जागे,

मरे हर दुष्ट-पापी, छोड़ कर इस मुल्क को भागे.
जो कचरा खा रही गैया, उसे चारा खिलाना है. ...
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यहाँ अब मिट रहे हैं गाँव, नदी भी हो गयी मैली
ये अपनी माँ है या फिर है जहर से भर चुकी थैली.
बढ़े हैं धन-पशु उनको, यहाँ इन्साँ बनाना है.
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'हरा' था चीर तुमने, अब यहाँ तो चीर ही गायब.
ये कैसी गोपियाँ जिनके ह्रदय का 'नीर' ही गायब.
मरे हर 'पूतना', मन में कोई 'मीरा' जगाना है..
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चले आओ कन्हैया, देश की नैया बचाना है.
यहाँ हर सिम्त हैं अब कंस, उनको ही मिटाना है.

9 comments:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,,

    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
    RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....

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  2. कल 12/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. कैलाश जी इस वेदना भरी पुकार की जितनी भी तारीफ़ की जाये कम है ………………लाजवाब

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  4. ्माफ़ कीजिये मै नाम शायद गलत लिख गयी।

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  5. बहुत सुन्दर सार्थक संदेशपरक कविता ...बहुत -बहुत पसंद आई बधाई आपको

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  6. यहाँ अब मिट रहे हैं गाँव, नदी भी हो गयी मैली
    ये अपनी माँ है या फिर है जहर से भर चुकी थैली.
    बढ़े हैं धन-पशु उनको, यहाँ इन्साँ बनाना है.
    -------
    सुंदर अभिव्यक्ति

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  7. बहुत बेहतरीन संदेशपरक अभिव्यक्ति...
    :-)

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  8. संवेदनशील रचना ...आभार

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  9. .

    गिरीश जी भाईसाहब ,
    बहुत सुंदर लिखा है हमेशा की तरह …



    बधाई ! आभार ! मंगलकामनाएं !

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