Thursday, May 9, 2013

देश हमें हो प्राण से प्यारा, वन्दे मातरम........................

सबसे पहला धर्म हमारा, वन्दे मातरम
देश हमारा सबसे न्यारा, वन्दे मातरम

देश है सबसे पहले, उसके बाद धर्म आये
सोचो इस पर आज दुबारा,  वन्दे मातरम

हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई बातें हैं बेकार
देश हमें हो प्राण से प्यारा, वन्दे मातरम

जहां रहें, हम जहां भी जाएँ रखे वतन को याद 
जिसने अपना आज संवारा, वन्दे मातरम

देश विरोधी लोगों को हम सिखलाएँ यह बात
सुबह-शाम बस एक हो नारा,  वन्दे मातरम

देश हमारी आन-बान है देश हमारी शान
लायेंगे घर-घर उजियारा,  वन्दे मातरम

भारत मटा तुम्हें बुलाती लौटो अपने देश
घर आओ ये कितना प्यारा,  वन्दे मातरम

जातिधर्म की ये दीवारे कब तक कैद रहें?
तोड़ो-तोड़ो अब ये कारा,  वन्दे मातरम

ध्वज अपना  है, भाषा अपनी,  राष्ट्रगान का मान
राष्ट्र प्रेम की सच्ची धारा,  वन्दे मातरम

देश प्रेम ही विश्व प्रेम की है सच्ची शुरुआत,
बिन इसके न होय गुजारा,  वन्दे मातरम

5 comments:

  1. बहुत बहुत बधाई आदरणीय गिरीश जी ........


    देश विरोधी लोगों को हम सिखलाएँ यह बात
    सुबह-शाम बस एक हो नारा, वन्दे मातरम



    बहुत उम्दा रचना



    जय हिन्द !

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  2. बहुत प्रभावशाली प्रस्तुति .एकदम सही .बधाई

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की ५०० वीं पोस्ट ब्लॉग बुलेटिन की ५०० वीं पोस्ट पर नंगे पाँव मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. बहुत ही सहज शब्दों में बहती हुई सी यह कविता व्यक्ति से आगे देश तक लेजाती है । धन्यवाद इस कविता के लिये ।

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