एक नव गीत / एक दीप तुम धरो...
>> Wednesday, October 22, 2014
एक नव गीत प्रस्तुत है
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एक दीप तुम धरो,
एक दीप हम धरें।
इस तरह से आओ
तम का,
सामना हम करें।
हम सभी प्रकाश की
खोज में लगे हुए।
चल रहे हैं हम सतत
और है जगे हुए।
कल नहीं डरे तिमिर से
आज भी नहीं डरे.
एक दीप हम धरें।
पंथ हो कठिन मगर ,
पग नहीं रुके कभी
शीश जो तना हुआ,
ये भी ना झुके कभी.
गर्व से जियें सदा
और गर्व से मरें।
एक दीप हम धरें।
जो हमारे संग थे,
वे जरा बिछड़ गये.
तेज हम चले बहुत
और आगे बढ़ गये.
साथ बंधु के चले
वेदना को हम हरें।
एक दीप तुम धरो,
एक दीप हम धरें।
3 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर और प्रेरक गीत । दीपावली आपको मंगलमय हो ।
बहुत सुन्दर और प्रेरक गीत । दीपावली आपको मंगलमय हो ।
dhanywad aapka
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