जिनने सच्चे प्रश्न उठाए उनको मेरा नमन
सच के पथ पर जो चल पाएउनको मेरा नमन
तकलीफो से भरी ज़िंदगी लगी फूल जिनको
काँटों पर भी जो मुस्काए उनको मेरा नमन
वैसे तो हैं जाने कितने हैं सबसे दुआ-सलाम
पर जो सच्चे मन से आए उनको मेरा नमन
लूट-लूट कर घर भरने वालों की नगरी में
जो अपना सर्वस्व लुटाए उनको मेरा नमन
देव और दानव दोनों की ख्वाहिश है 'अमरित'
जो सबकी पीड़ा पी जाए उनको मेरा नमन
बड़ी-बड़ी डिग्री ले कर भी बने नहीं इन्सां
जो ढाई आखर पढ़ जाए उनको मेरा नमन
भीड़ चले जिस और उधर तो चलते हैं सारे
पंकज जो खुद राह बनाए उनको मेरा नमन
भीड़ चले जिस और उधर तो चलते हैं सारे
ReplyDeleteपंकज जो खुद राह बनाए उनको मेरा नमन ।
बहुत खूब । सादर प्रणाम ।
सब उगते सूरज के गायक ,
यह ढलती सन्ध्या का ।
साथी दुखी अकेलों का ,
इस मन की उल्टी चाल न पूछो ।
मेरे दिल का हाल न पूछो ...।