ज्ञान - रश्मि से अंतरतम काे,
जिसने दूर भगाया है।
उस मां का वंदन करते हैं,
जिसकी हम पर छाया है।।
उस मां का वंदन करते हैं,
जिसकी हम पर छाया है।।
माता जग-कल्याणी है वाे
दुख हरती, सुख भरती है।
सच्चे लाेगाें के जीवन काे,
वह अमृतमय करती है।
उसके लिए काेई ना अपना,
और न यहां पराया है।।
दुख हरती, सुख भरती है।
सच्चे लाेगाें के जीवन काे,
वह अमृतमय करती है।
उसके लिए काेई ना अपना,
और न यहां पराया है।।
निर्मल मन से ध्यान लगाकर,
मॉ काे अगर बुलाएंगे।
जीवन घट काे अमृत जल से,
हम सब भरते जाएंगे।
नेक पुत्र के लिए हमेशा,
मां ने कष्ट उठाया है।।
मॉ काे अगर बुलाएंगे।
जीवन घट काे अमृत जल से,
हम सब भरते जाएंगे।
नेक पुत्र के लिए हमेशा,
मां ने कष्ट उठाया है।।
बनकर अक्षर के आराधक,
करें ग्यान का नित अर्जन।
हर मानव का लक्ष्य यही है,
प्रतिपल सुंदर नवसर्जन।
मॉ का वर पा कर मानव ने,
जीवन सफल बनाया है।।
करें ग्यान का नित अर्जन।
हर मानव का लक्ष्य यही है,
प्रतिपल सुंदर नवसर्जन।
मॉ का वर पा कर मानव ने,
जीवन सफल बनाया है।।
बहुत सुन्दर वंदना ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर वंदना ।
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