Friday, February 12, 2016

गद्दारों की खैर नहीं ....

बहुत हो गया अब भारत में गद्दारों की खैर नहीं
मानवता के दुश्मन हैं, उन हत्यारों की खैर नहीं.

पापी हैं वे लोग कि जिनको देश न अपना भाता है
'भारत को हम नष्ट करेंगे', पागल ही चिल्लाता है.
जिस भूमि ने हम सबको इतना सुंदर परिवेश दिया.
रहो प्रेम से मिलजुल कर के संतों ने उपदेश दिया.
उसी देश में नव उदारवादी अब बढ़ते जाते हैं
ये सब 'पाक'-समर्थक बनके 'जेएनयू' में चिल्लाते हैं .
बंद करो जो देशविरोधी बात कर रहा भारत में
सबको भेजो जेल बचे न कोई भी हर हालत में.
मुल्कविरोधी हरकत और गंदे नारों की खैर नहीं.
बहुत हो गया अब भारत में गद्दारों की खैर नहीं ..

कितनी देंगे छूट पापियों की संख्या बढ़ जाएगी,
ये नालायक पीढ़ी इक दिन अपने सर चढ़ जाएगी.
देशभक्त 'हनुमनथप्पा' से कुछ तो सीखो ओ नादानों
भूल गए हो शायद खुद को थोड़ा खुद को पहचानो
मगर जिसे अब गद्दारी का खेल बहुत ही भाता है
वो ही भारत के खिलाफ में नारे बहुत लगाता है .
ऐसे हर इक पापी को यह देश सहन न कर पाए.
अपना हो या गैर कोई, वो फंदे पर लटका जाए .
सूरज बन कर आएँगे हम अंधियारों की खैर नहीं.
बहुत हो गया अब भारत में गद्दारों की खैर नहीं..

कुछ लोगों की चाल इन दिनों अब भटकी -सी लगती है
आज सियासत भी जाने क्यों चकलाघर-सी दिखती है .
जो सच है उसकी खातिर भी बोल नही क्यों पाते हैं
कैसे हैं ये लोग यहां ये क्यों न अब मर जाते हैं?
सीमा पर पहरा देता वो हर जवान शर्मिन्दा है
अगर मुल्क में गद्दारों की टीम अभी तक ज़िंदा है.
होंगे वे प्रतिभाशाली भी, लेखक-चिंतक या ज्ञानी
मगर विरोधी हैं भारत के तो है मूर्ख-अज्ञानी
घोषित कर दो इस धरती में मक्कारों की खैर नहीं
बहुत हो गया अब भारत में गद्दारों की खैर नहीं ..

3 comments:

  1. ओजपूर्ण सार्थक रचना । अब इन गद्दारों को सबक सिखाने का वक्त आ गया है ।

    मेरी २००वीं पोस्ट में पधारें-

    "माँ सरस्वती"

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  2. ओजपूर्ण सार्थक रचना । अब इन गद्दारों को सबक सिखाने का वक्त आ गया है ।

    मेरी २००वीं पोस्ट में पधारें-

    "माँ सरस्वती"

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  3. ओजस्वी रचना।
    हमारी सहनशीलता का अंत मत देखो वरना हाथ हमारे भी क्या आयेगी तलवार नही?

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