''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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सुंदर है, दुलारी हैं, मधुबन हैं बेटियाँ

>> Thursday, August 18, 2016

'साक्षी'' ने देश का दिल जीत लिया। बेटी ने वो काम किया जो बेटे न कर पाए. बेटियों को समर्पित एक रचना

सुंदर है, दुलारी हैं, मधुबन हैं बेटियाँ
महका रही है आँगन चन्दन हैं बेटियाँ
'साक्षी मलिक' नहीं ये उपहार देश का
बोलेंगे हम समूचा गुलशन है बेटियाँ
इनको जतन से रखिए इनको संवारिए
वरदान में मिला है वो धन हैं बेटियाँ
बेटे कपूत निकले बेटी नही निकली
है त्याग इसका नाम, समर्पन हैं बेटियाँ
इनसे न दुराचार करो नर्क मिलेगा
जीवन्त देवियां हैं, वन्दन हैं बेटियाँ
बेटे भले ही भूले गए ये नही भूलीं
पतझर के बाद लगता सावन हैं बेटियाँ
ये जब भी खनकती हैं बढ़ जाएं रौनकें
हीरो से जड़ी जैसे कंगन हैं बेटियाँ
हम कौन हैं और क्या हैं बता देती हैं यही
सच पूछिए तो ऐसा दरपन हैं बेटियाँ
रखना इन्हें बचा के दृष्टि हुई मैली
चारो तरफ लुटेरे और धन हैं बेटियाँ
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टिप्पणी

1 टिप्पणियाँ:

HARSHVARDHAN August 20, 2016 at 9:20 AM  

आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति सिल्वर मेडल जीतने वाली गोल्डन गर्ल - पीवी सिंधू और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।

सुनिए गिरीश पंकज को

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