''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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बड़ा अनोखा है यह बंदर प्यारेलाल ....

>> Thursday, February 25, 2021


चालाकी अब बड़ा चरित्तर प्यारेलाल
तेरा भी है कोई न उत्तर प्यारेलाल 

कहाँ मौन रहना है कहाँ मुखर रहूँ
इसी कला में माहिर मित्तर प्यारेलाल 

'गोदी-गोदी' करता खुद इक 'गोदी' में
बड़ा अनोखा है यह बंदर प्यारेलाल 

यहाँ-वहाँ तू विष फैलाता रहता है 
ऊपर वाले से कुछ तो डर प्यारेलाल

देश जाय चूल्हे में उसको क्या लेना
घूम रहा है मस्त कलंदर प्यारेलाल

खुद कालिख से पुता हुआ सब पे हँसता 
बड़ा मस्त है देख करैक्टर प्यारेलाल

जो भी गलत करे उसकी निंदा करना 
दल से उठना ही है बेहतर प्यारेलाल 

गिरीश पंकज

3 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) February 26, 2021 at 12:07 AM  

प्यारेलाल के माध्यम से अच्छा व्यंग्य कसा है ।

जिज्ञासा सिंह March 2, 2021 at 12:55 AM  

आज के परिप्रेक्ष्य पर सार्थक व्यंगात्मक रचना..मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है..सादर..

डॉ. जेन्नी शबनम March 9, 2021 at 9:32 PM  

बहुत प्रभावपूर्ण व्यंगात्मक रचना, बधाई.

सुनिए गिरीश पंकज को

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