''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
&COPY गिरीश पंकज संपादक सदभावना दर्पण. Powered by Blogger.

विश्व जल दिवस पर दस जलदार दोहे.....

>> Sunday, March 21, 2021



जल है तो कल-कल सभी, जल है तो यह जान।
जल को जो दूषित करे, वह मूरख, नादान।।

जल धरती का देवता, जल धरती की शान।
नष्ट हुआ जल तो कहाँ, बचे किसी के प्रान।।

जल, पानी या नीर है, अलग-अलग सब नाम।
जीवन देना ही मगर, इन का असली काम।।

पानी तो पीयें मगर, करें न उसका नाश।
हर इक बूँद अमूल्य है, रखें संजो कर पास।।

'पानी' जिसके पास है, उसका ही सम्मान। 
जिसमें कुछ पानी नहीं, क्या उसका सम्मान।।

जल के बिन कब जी सके, पशु-पक्षी-इनसान।
इसे बचा लें तो बचे, अपना सकल जहान।।

जल औ मन निर्मल रहे,  तब है उसका मोल।
जैसे कब अच्छे लगे, हमको कड़वे बोल।।

बूँद-बूँद अति कीमती, ज्यों हीरे का दाम।
जल से है सारी चमक, दे सब को पैगाम।।

नीर बिना नीरस जगत,  खेत और खलिहान।
इसे बचा कर राखिए,  कहते सभी सियान।।

घर, बाहर  गर जल बचा, किया देश का काम।
बूँद-बूँद में हैं रमे, सबके अल्ला-राम।।

@ गिरीश पंकज

4 टिप्पणियाँ:

yashoda Agrawal March 21, 2021 at 10:34 PM  

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 21 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

संगीता स्वरुप ( गीत ) March 22, 2021 at 9:10 AM  
This comment has been removed by the author.
संगीता स्वरुप ( गीत ) March 22, 2021 at 9:11 AM  

आपके रचे सारे दोहे सार्थक सन्देश दे रहे हैं ... सुन्दर दोहों के लिए आभार ...

girish pankaj March 25, 2021 at 10:28 PM  

आभार आपका संगीता जी।

सुनिए गिरीश पंकज को

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