''सद्भावना दर्पण'

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होली में तीन ग़ज़लें

>> Thursday, March 25, 2021


इस बार भी आना मेरे सब यार होली में
मिल के रचेंगे रंग का संसार होली में

जीवन में रंग भरता है त्यौहार यह सुंदर
बाँटो सभी को दोस्तो बस प्यार होली में

तुम तोड़ दो बंधन सभी इन जातिधर्मों के
बस बांटना सद्भाव का उपहार होली में

छिपकर नहीं करना किसी पे वार भूले से
आओ करो रंगों के ही सौ वार होली में

खेलो तुम वाट्सएप या के फेसबुक्क में
घर से भी मगर निकलो सरकार होली में

बजते रहें नगाड़े यहाँ ढोल, चंग भीे
कुछ फाग भी सुनाओ दो -चार होली में

हमको यही संदेश यहां रंग दे रहे
कम हो न जाए प्यार की वो धार होली में

2

मन में रहे उमंग तो समझो होली है
जीवन में हो रंग तो समझो होली है

तन्हाई का दर्द बड़ा ही जालिम है
प्रिय मेरा हो संग तो समझो होली है

स्वारथ की हर मैल चलो हम धो डालें
छिड़े अगर यह जंग तो समझो होली है

मीठा हो, ठंडाई भी हो साथ मगर
थोड़ी-सी हो भंग तो समझो होली है

निकले हैं बाहर लेकिन क्यों सूखे हैं
इन्द्रधनुष हो अंग तो समझो होली है

दिल न किसी का कोई यहाँ दुखाए बस
हो सुंदर ये ढंग तो समझो होली है

तन पर होवे रंग, भंग हो ज़ेहन में
पूरा घर हो तंग तो समझो होली है

दुश्मन को भी गले लगाना सीख ज़रा
जागे यही उमंग तो समझो होली है

रूखी-सूखी खा कर के भी मस्त रहो
बाजे मन का चंग तो समझो होली है

इक दिन सबको बुढऊ होना है 'पंकज'
दिल हो लेकिन 'यंग' तो समझो होली है

3

बाँट दो सब को हृदय का प्यार होली में
पाओगे तुम हर्ष का संसार होली में

दिल में जितनी नफरतें सब को जला डालो
बस यही संदेश अपना यार होली में

देख लो बच्चे सभी तो रंग में डूबे
तुम तो घर में क़ैद हो बेकार होली में

फाग की मस्ती में झूमें हो के हम बिंदास
बंद हो झूठे सभी व्यवहार होली में

पिछली दफा घर से नहीं निकले थे तुम पंकज
पर निकलना है तुम्हें इस बार होली में

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