अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर...
जो वृद्धजनों की सेवा में,
तन-मन-धन अर्पण करता है।
वह करे न पूजा-पाठ भले,
सीधे प्रभु-दर्शन करता है।
जिसने इस दुनिया में आकर,
गर वृद्धों का सम्मान किया ।
उसने अपने लघु जीवन का,
प्रतिफल जैसे उत्थान किया।
उसका वंदन जो बूढ़ों का,
बढ़कर अभिनंदन करता है ।
जो वृद्धजनों की सेवा में,
तन-मन- धन अर्पण करता है।।
न पद पैसा रह जाता है,
यह तो आता औ जाता है ।
जो सेवा करता है सबकी,
इक दिन वो परम पद पाता है ।
वह मानव नहीं, महामानव,
जो वन को उपवन करता है।
जो वृद्धजनों की सेवा में,
तन-मन-धन अर्पण करता है।।
यह तन है सुंदर-स्वस्थ मगर,
इक दिन इसको ढल जाना है।
जैसे बगिया के सुमनों को भी,
शाम ढले मुरझाना है।
वह धन्य है जो इन फूलों का,
बढ़कर संरक्षण करता है।
जो वृद्धजनों की सेवा में,
तन-मन-धन अर्पण करता है।।
ये वृद्ध नहीं, इक बरगद हैं,
जो शीतल-छाँव लुटाते हैं।
खुद झुलस गए अकसर लेकिन,
जलने से हमें बचाते हैं।
यह काम हमेशा बढ़कर के,
धरती का भगवन करता है।
जो वृद्धजनों की सेवा में,
तन-मन-धन अर्पण करता है।
वह पूजा-पाठ करे-न-करे,
सीधे प्रभु-दर्शन करता है।।
@ गिरीश पंकज
Sundar bhavpoorn rachana, hardik badhai
ReplyDeleteबहुत सुंदर बात कही आपने सार्थक प्रेरणादायक।
ReplyDeleteसही कहा आपने। सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteYashoda agrawal ji ap bahut achchha kaary kar rhi hain.
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