उनकी हरकत देखी सबने,
हरदम बड़े कमाल की।
जो नेता हैं बड़े काम के,
ढोते उनकी पालकी।।
बदले नेताओं के चेहरे,
बदले नहीं कहार।
समय देखकर पाला बदले,
जो बन्दे हुशियार।
घर वाले भी समझ सके ना,
हरकत अपने लाल की।
जो नेता हैं बड़े काम के,
ढोते उनकी पालकी।।
जहाँ लाभ कुछ दिखा वहीं पर ,
हरदम ही मंडराये।
मिल गये जिनसे दो पैसे बस,
गीत उन्हीं के गाये।
कहां आत्मा की सोचें जब,
फिक्र हो केवल माल की।
जो नेता हैं बड़े काम के,
ढोते उनकी पालकी।।
दोनों उनके लिए एक हैं,
क्या पुण्य, क्या पाप।
वक्त पड़े तो सदा बताया,
गदहे को भी बाप।
खूब कमाई की बंदे ने,
मत पूछो इस साल की।
जो नेता हैं बड़े काम के,
ढोते उनकी पालकी।।
@ गिरीश पंकज
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 05 सितम्बर 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteन बदलती पालकी
ReplyDeleteन बदलते कहार ,
बस बदल जाते सवार ।
सटीक , समसामयिक रचना ।
वाह! क्या खूब कहा । मजेदार ।
ReplyDeleteवाह!!सटीक व्यंग्य।
ReplyDeleteसमय देखकर पाला बदले,
ReplyDeleteजो बन्दे हुशियार।
घर वाले भी समझ सके ना,
हरकत अपने लाल की।
जो नेता हैं बड़े काम के,
ढोते उनकी पालकी।।
एकदम सटीक रचना !
दोनों उनके लिए एक हैं,
ReplyDeleteक्या पुण्य, क्या पाप।
वक्त पड़े तो सदा बताया,
गदहे को भी बाप।
खूब कमाई की बंदे ने,
मत पूछो इस साल की।
जो नेता हैं बड़े काम के,
ढोते उनकी पालकी।।
इन चमचों पर इतना लाजवाब एवं सटीक सृजन
क्या बात...
वाह!!!