आ जाओ कन्हैया मेरे,
आ जा आओ कन्हैया
संकट में गोपियाँ हैं,
खतरे में है गैया।। आ जाओ कन्हैया....
वो कंस फिर से आया, दानव भी आ गये।
सुख-चैन इस धरा का, उसको ये खा गये।
इनका करो संहार ओ बलराम के भैया।।
आ जाओ कन्हैया......
लुटती है द्रौपदी यहाँ, हर रोज देश में,
यह देख कर यशोदा रहती है क्लेश में।
अब लाज बचाओ तुम्हीं ओ बंशी बजैया।।
आ जाओ कन्हैया......
यमुना हुई है मैली, हैं नाग विषैले।
कैसे पियेंगे पानी, गोकुल को ये छैले।
फिर आ के दहो नदिया, ओ नागनथैया।।
आ जाओ कन्हैया......
संकट में देश देखो, कौरव यहाँ छाए,
अन्याय बढ़ रहा है, अब कौन बचाए।
सबको सबक सिखाओ, कहती यही मैया।।
आ जाओ कन्हैया......
भावपूर्ण आह्वान ।
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