''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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ग़ज़ल

>> Wednesday, October 27, 2021

जो हैं अपने उन सबों से बेरुखी अच्छी नहीं
दिल का ये तो मामला है दिल्लगी अच्छी नहीं

सिर्फ अपने ही लिए जीते रहे तो क्या जिया
ज़िंदगी तो है मगर यह ज़िंदगी अच्छी नहीं

सिर्फ अपने ही लिए हमने उजाला गर किया
सच कहूँ तो मुझको ऐसी रोशनी अच्छी नहीं

जो दिलों में नफ़रतों के बीज बोती है यहाँ
लाख उम्दा हो बहर पर शाइरी अच्छी नहीं

आग दोनों ही तरफ हो तब तो कोई बात है
एक तरफा व्यर्थ है यह आशिकी अच्छी नहीं

गिरीश पंकज

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