''सद्भावना दर्पण'

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तोता उड़ना भूल गया

>> Thursday, December 30, 2021

पिंजरे में रह-रह कर तोता उड़ना भूल गया
उसको भी उड़ने का हक है कहना भूल गया

पंख है उसके कितने सुंदर मगर न उड़ पाए
उड़ने की क्या बात है पंछी चलना भूल गया

सोने का हो पिंजरा लेकिन वह तो है पिंजरा
सम्मोहन में पंछी खुद को गुनना भूल गया

दीपक के कारण ही जग में अंधियारा कायम
रात हुई तो जाने क्यों वह जलना भूल गया

स्वारथ बढ़ता गया नतीजा यही दिखा पंकज
मानव मानव यहॉं प्यार से रहना भूल गया

@ गिरीश पंकज

2 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) December 31, 2021 at 2:14 AM  

सोने का हो पिंजरा लेकिन वह तो है पिंजरा
सम्मोहन में पंछी खुद को गुनना भूल गया

ये सम्मोहन ही खुद को भूल जाता है ।।बेहतरीन ग़ज़ल ।

सुशील कुमार जोशी December 31, 2021 at 7:52 AM  

वाह

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