''सद्भावना दर्पण'

दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ''सद्भावना दर्पण भारत की लोकप्रिय अनुवाद-पत्रिका है. इसमें भारत एवं विश्व की भाषाओँ एवं बोलियों में भी लिखे जा रहे उत्कृष्ट साहित्य का हिंदी अनुवाद प्रकाशित होता है.गिरीश पंकज के सम्पादन में पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ''सद्भावना दर्पण'' पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक- 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क- 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़)
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ग़ज़ल

>> Saturday, January 22, 2022

एक नहीं, दो बार नहीं हर बार बताता है
कौन यहाँ कैसा है यह किरदार बताता है

कभी-कभी शमशानों के भी पास से गुजरो तुम
बिना कहे कुछ वह जीवन का सार बताता है

कल जैसा था वैसा बिलकुल आज नहीं लगता
मेरे शहर की हालत अब अख़बार बताता है

कितनी है तहज़ीब किसी में घर जाकर देखो
कैसे वह करता स्वागत-सत्कार बताता है

जीवन जीना एक कला ये सच तो है लेकिन
कैसे जीना है पंकज फ़नकार बताता है

गिरीश पंकज

8770969574

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